जब जिम्मेदार अनजान, घायलों को कौन बचाए
तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन जिले में एक भी नेक आदमी स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिला।
बदायूं : तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन जिले में एक भी नेक आदमी स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिला। सबसे बड़ी बिड़वना देखिए, शासन की योजना की जानकारी महकमे के जिम्मेदारों को ही नहीं है। ऐसे में आम आदमी से कैसे उम्मीद करें कि वह घायल की जान बचाएगा।
कई बार देखने में आया कि दुर्घटना के बाद प्राथमिक उपचार न मिल पाने की वजह से घायल लोगों ने या तो मौके पर या फिर अस्पताल की दहलीज पर दम तोड़ दिया। वो इसलिए, लोग घायलों को तड़पते हुए देख वहां से गुजर जाते हैं लेकिन पुलिसिया पचड़े से बचने के लिए उनकी मदद नहीं करते।
लोगों की इस सोच को बदलने के लिए शासन ने नवंबर माह में नेक आदमी योजना शुरू की। इसके तहत घायल को थाने या अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति से किसी तरह का सवाल जवाब नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उसे प्रोत्साहन के साथ नेक आदमी का खिताब भी मिलेगा। यह है योजना
- घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाएगा।
- घायल को लाने वाले व्यक्ति को नाम-पता बताने की कोई बाध्यता नहीं होगी।
- नेक आदमी से किसी तरह का कोई भुगतान अस्पताल में नहीं मांगा जाएगा।
- थाने तक पहुंचाने पर उस व्यक्ति का नाम नेक आदमी के बोर्ड पर चस्पा किया जाएगा।
- नेक आदमी को परिवहन विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा कोष से दो हजार रुपये दिए जाएंगे।
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योजना का क्रियांवयन सीएमओ स्तर से होता है। जिलास्तरीय अधिकारी वही हैं। हमारे स्तर से ऐसी कोई योजना नहीं चलाई जाती।
- डॉ. बीबी पुष्कर, सीएमएस जिला अस्पताल
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ऐसी कोई योजना है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। अगर ऐसा है तो योजना का क्रियांवयन किया जाएगा।
- डॉ. राजेंद्र कुमार, सीएमओ