बदायूं में कार्यदायी संस्था को भेजा नोटिस, पुल की मरम्मत शुरू

बरेली-मथुरा हाईवे पर 16.73 करोड़ की लागत से बना 89.89 मीटर का सोत नदी का पुल पांच माह भी न चल सका। दो दिन की बारिश में ही इसमें गड्ढे हो गए मिट्टी बह गई जिससे पुल पर दरारे आ गईं। पुल बनाने में हुए भ्रष्टाचार की परतें शुक्रवार के अंक में दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित की। इसके बाद कार्यदायी संस्था को नोटिस भेजते हुए पुल को सही कराने का काम शुरू कराया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 01:29 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 01:29 AM (IST)
बदायूं में कार्यदायी संस्था को भेजा नोटिस, पुल की मरम्मत शुरू
बदायूं में कार्यदायी संस्था को भेजा नोटिस, पुल की मरम्मत शुरू

बदायूं, जेएनएन: बरेली-मथुरा हाईवे पर 16.73 करोड़ की लागत से बना 89.89 मीटर का सोत नदी का पुल पांच माह भी न चल सका। दो दिन की बारिश में ही इसमें गड्ढे हो गए, मिट्टी बह गई, जिससे पुल पर दरारे आ गईं। पुल बनाने में हुए भ्रष्टाचार की परतें शुक्रवार के अंक में दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित की। इसके बाद कार्यदायी संस्था को नोटिस भेजते हुए पुल को सही कराने का काम शुरू कराया।

सपा शासन में बरेली-मथुरा हाईवे पर आठ किलोमीटर के बाइपास बनाने के लिए सरकार ने 110 करोड़ का बजट पास किया था। हाईवे बनाने का काम कार्यदायी संस्था ब्रिज कारपोरेशन को दिया था। बाइपास के बीच में 89.89 मीटर का सोत नदी के पुल का भी निर्माण कराया। सपा शासन काल से शुरू हुए इस कार्य को पूरा होने में तकरीबन पांच वर्ष लग गए। मई 2021 में तैयार हुए इस पुल को जून में कार्यदायी संस्था ने पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर किया। हैंडओवर हुए अभी पांच माह ही गुजरे थे कि पुल निर्माण में हुआ भ्रष्टाचार बाहर झांकने लगा। पुल के बाद दोनों ओर के एप्रोच मार्ग पर मिट्टी बहने से धंसने लगे। वहां लगे पत्थर भी हट कर सड़क पर गिर गए। इससे दोनों ओर की सड़क भी बैठने लगी थी। शुक्रवार के अंक में दैनिक जागरण ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके बाद पीडब्ल्यूडी विभाग हरकत में आया है। पीडब्ल्यूडी ने कार्यदायी संस्था ब्रिज कारपोरेशन को नोटिस भेजा। निर्देश दिए गए कि तत्काल इस पर काम शुरू कराया जाए। इसके बाद गुरुवार दोपहर से संबंधित ठेकेदार ने मिट्टी आदि डालकर पत्थरों को लगाने का कार्य शुरू कर दिया। गुणवत्तापूर्ण तरीके से नहीं बना हाइवे

बरेली-मथुरा हाईवे के बाइपास के निर्माण में पांच साल का समय लग गया था। हाईवे से सटे गांव के लोगों का कहना है कि बाइपास और हाईवे के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया। इससे चलते हाईवे भी कुछ स्थानों पर धंस गया है। हाईवे के निर्माण में खोदाई कम मात्रा में की गई थी। इसका नतीजा बारिश के बाद देखने को मिल रहा है। वर्जन

कार्यदायी संस्था को नोटिस भेजा है। एप्रोच मार्ग पर जहां-जहां गड्ढे हुए है। वहां मिट्टी डालने का कार्य शुरू कराया है। मरम्मत का कार्य कार्यदायी संस्था कराएगी। शीघ्र ही मरम्मत कार्य पूरा कराया जाएगा।

अमर सिंह, अधीक्षण अभियंता पीडब्ल्यूडी

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