बदायूं में बनने लगे मशरूम के बिस्किट और अचार
परंपरागत खेती का मोह छोड़कर छोटी सी झोपड़ी बनाकर मशरूम उत्पादन कर रहे किसानों ने आर्थिक उन्नति का रास्ता अख्तियार किया है। मशरूम की सब्जी से आगे बढ़कर इससे बिस्किट और अचार बनाने भी शुरू कर दिए हैं। न्यूनतम लागत में अधिक फायदा का हुनर सीख चुके किसान अब मशरूम को दिल्ली की मंडी तक पहुंचाने लगे हैं।
जेएनएन, बदायूं: परंपरागत खेती का मोह छोड़कर छोटी सी झोपड़ी बनाकर मशरूम उत्पादन कर रहे किसानों ने आर्थिक उन्नति का रास्ता अख्तियार किया है। मशरूम की सब्जी से आगे बढ़कर इससे बिस्किट और अचार बनाने भी शुरू कर दिए हैं। न्यूनतम लागत में अधिक फायदा का हुनर सीख चुके किसान अब मशरूम को दिल्ली की मंडी तक पहुंचाने लगे हैं। सरकार ने भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान की तिजोरी खोल दी है। मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनते ही बदायूं मशरूम का हब बनेगा।
शहर के इंद्रापुरम निवासी मधुकर मिश्र धान, गेहूं की खेती तो वर्षों से करते आ रहे थे। लेकिन, अपेक्षित लाभ नहीं हो पा रहा था। कृषि और उद्यान विभाग के अफसरों से मिले तो मशरूम की खेती का रास्ता मिला। किसानों का समूह बनाकर प्रबल फार्मा एंड फूड प्रोड्यूसर कंपनी बनाई। उझानी के बसंतनगर में मशरूम की खेती शुरू की। जैविक विधि से जीरो बजट की खेती को डिगरी मशरूम का उत्पादन शुरू किया। पंतनगर से लेकर आगरा और बंगाल जाकर हुनर सीखा। अब डिगरी मशरूम की सूखी सब्जी के अलावा बिस्किट और अचार का भी उत्पादन शुरू किया। एक किग्रा आटा में 100 ग्राम मशरूम पाउडर, दूध और चीनी मिलाकर इसे तैयार कर रहे हैं। एक बिस्किट दस रुपये में बेच रहे हैं। 400 ग्राम मशरूम के अचार की कीमत 180 रुपये मिल रही है। कृषि वैज्ञानिक भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि प्रोटीन, बसा, कार्बोहाइड्रेड, खनिज लवण, बिटामिन, अमीनो, पोटैशियम, सोडयिम, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में मिलते हैं जो एंटीबायोटिक गुणों वाले तत्व हैं। मधुकर मिश्र कहते हैं कि लोगों में विश्वास जग रहा है। अभी शुरूआती दौर है। लेकिन, अच्छी आय का रास्ता मिल गया है। उझानी और कादरचौक के कुछ किसानों, सालारपुर क्षेत्र की महिला समूहों ने बटन मशरूम का उत्पादन शुरू किया है। जिले के सालारपुर, कादरचौक, उझानी और समरेर ब्लाक क्षेत्रों में मशरूम उत्पादन की 510 यूनिटें लग चुकी हैं। मशरूम की खेती को स्पॉन बीज इन्हें पंतनगर, आगरा से मंगाना पड़ता है। अब जिले में ही स्पान से लेकर जरूरत की अन्य सामग्री उपलब्ध कराने, विपणन की व्यवस्था कराने के लिए मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना होने जा रही है। मंडियों में मशरूम की बिक्री के लिए अलग काउंटर बनवाने की तैयारी हो चुकी है। इससे किसानों की दिक्कते दूर हो जाएंगी। वर्जन ::
मशरूम उत्पादक किसानों से बात की। लगा कि इसे बढ़ावा देकर आसानी से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। इसीलिए मशरूम महोत्सव कराकर विभागीय राज्यमंत्री श्रीराम चौहान को भी आमंत्रित किया। भरपूर अनुदान व विपणन की व्यवस्था कराई जा रही है। निश्चित रूप से मेंथा की तरह जिला मशरूम जल्द प्रदेश स्तर पर अपनी जगह बना लेगा।
- कुमार प्रशांत, जिलाधिकारी