बमुश्किल राजस्थान से घर लौटा परिवार, मुसीबतों ने नहीं छोड़ा साथ

जेएनएन उझानी (बदायूं) राजस्थान में तीन साल से दिहाड़ी कर भरण-पोषण कर रहे देवरमई पू

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 May 2020 12:07 AM (IST) Updated:Fri, 29 May 2020 12:07 AM (IST)
बमुश्किल राजस्थान से घर लौटा परिवार, मुसीबतों ने नहीं छोड़ा साथ
बमुश्किल राजस्थान से घर लौटा परिवार, मुसीबतों ने नहीं छोड़ा साथ

जेएनएन, उझानी (बदायूं) : राजस्थान में तीन साल से दिहाड़ी कर भरण-पोषण कर रहे देवरमई पूर्वी के राजकुमार परिवार के सदस्यों को लेकर जैसे-तैसे घर वापसी तो कर ली, लेकिन उनकी मुसीबतें कम नहीं हुईं। घर पहुंचने के दो घंटे बाद ही पिता स्वर्ग सिधार गए। पूरा परिवार होम क्वारंटाइन है, दो जून की रोटी के लाले पड़े हुए हैं। प्रधान ने राशन का इंतजाम करा दिया है। भरोसा दिलाया है कि होम क्वारंटाइन की अवधि पूरी हो जाने पर मनरेगा में काम दिलवाएंगे।

रोजी-रोटी की तलाश करते हुए राजकुमार तीन साल पहले राजस्थान के कस्बा झुझनू के निकट नुआ गांव चले गए थे। वहां के सरपंच की मदद से मजदूरी करने लगे। फिर पत्नी-बच्चों के साथ माता-पिता, दादी को भी अपने पास ले गए। सब ठीक चल रहा था, लेकिन लॉकडाउन शुरू होते ही मुसीबत बढ़ने लगी। आर्थिक दिक्कत बढ़ने लगी तो सरपंच ने भी हाथ खड़े कर लिए। इसलिए परिवार को लेकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। साथ में 80 साल की दादी नन्नी देवी थीं तो बीमार पिता नरेश लोधे भी थे। घर वापसी के लिए ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन नुआ से रेलवे स्टेशन तक 30 किमी का सफर पैदल तय करना पड़ा। कभी दादी को पीठ पर बिठाते तो कभी पिता को कंधे पर बैठाकर आगे बढ़ते रहे। स्पेशल ट्रेन से बरेली पहुंचे, वहां से बस से बदायूं लाया गया। घर पहुंचने पर भी मुसीबत कम नहीं हुई, अभी राहत की सांस भी नहीं ले पाए थे कि दो घंटे बाद ही उनके पिता नरेश स्वर्ग सिधार गए। ग्राम प्रधान अहिबरन सिंह की मदद से पिता की अंत्येष्टि करने के बाद परिवार समेत होम क्वारंटाइन हो गए। अब यहां रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्रधान ने फौरी तौर पर राशन का इंतजाम करा दिया है। राजकुमार चार भाई हैं और जमीन सिर्फ सवा बीघा है। एक कमरा है और उसके आगे छप्पर पड़ा हुआ है, उसी में सारा परिवार समय गुजार रहा है। प्रधान कहते हैं कि होम क्वारंटाइन की अवधि पूरी हो जाने पर मनरेगा में काम मुहैया करवाया जाएगा। होम क्वारंटाइन पूरा, नहीं मिल रहा काम

कोतवाली क्षेत्र के गांव तिलिया खाता निवासी पप्पू पेशे से ट्रक ड्राइवर हैं। वह तेलंगना के कस्बा हैदराबाद में लॉकडाउन में फंस गए थे। वहीं पर एक महीना समय गुजारा, लेकिन एक-एक दिन काटना भारी पड़ रहा था। खाद्य वस्तुओं की सप्लाई लेकर आने वाले एक ट्रक में बैठकर रामपुर आ गए। यहां उझानी कोतवाली पहुंचकर अपनी समस्या बताई। पुलिस की मदद से वह अपने गांव तो पहुंच गए, लेकिन यहां भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। क्वारंटाइन की अवधि 14 मई को पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी तक कहीं कोई काम नहीं मिल पा रहा है। दो दिन नमकीन खाकर गांव पहुंचे किशन

कोतवाली क्षेत्र के गांव देवरमई पूर्वी निवासी किशन गुजरात के कच्छ भुज में अनार की बागवानी में अनार की पैकिग के काम में लगे थे। लॉकडाउन में दुश्वारियां शुरू हुई तो घर आने के लिए छटपटाने लगे। अनार लेकर दिल्ली आ रहे ट्रक चालक से मदद मांगी तो उसने हेल्पर बनाकर दिल्ली तक पहुंचा दिया। दिल्ली से एक डीसीएम के सहारे मथुरा पहुंचे और वहां से जैसे-तैसे घर पहुंच सके। वह कहते हैं कि जेब में एक रुपये नहीं बचे थे। दो दिन तक नमकीन खाकर पानी पीते रहे। घर पहुंचने पर स्वास्थ्य विभाग ने होम क्वारंटाइन कर दिया, अवधि पूरी हो चुकी है, लेकिन कहीं कोई काम नहीं मिल पा रहा है।

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