इंतजाम छोड़ें, इंजीनियरिग में ही खोट है..

कोहरे का मौसम परवान चढ़ चुका है। दिन ढलते ही जिले की स़ड़कों पर धुंध उतर आती है। वहीं कोहरे से बचाव के इंतजाम तो सिस्टम मुहैया करा ही नहीं पाया जबकि यह भी तय है कि इंजीनियरिग में भी खोट है। क्योंकि हाईवे से जुड़े गांवों के बाहर न तो कोई संकेतक बनाया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 02:14 AM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:06 AM (IST)
इंतजाम छोड़ें, इंजीनियरिग में ही खोट है..
इंतजाम छोड़ें, इंजीनियरिग में ही खोट है..

जागरण संवाददाता, बदायूं : कोहरे का मौसम परवान चढ़ चुका है। दिन ढलते ही जिले की स़ड़कों पर धुंध उतर आती है। वहीं कोहरे से बचाव के इंतजाम तो सिस्टम मुहैया करा ही नहीं पाया, जबकि यह भी तय है कि इंजीनियरिग में भी खोट है। क्योंकि हाईवे से जुड़े गांवों के बाहर न तो कोई संकेतक बनाया गया है। न ही डिवाइडर का कटआउट मानक के मुताबिक खोला गया है। नतीजतन हाईवे पर दौड़ रहे वाहनों के सामने कब गांव के भीतर से कोई भारी वाहन या पैदल व्यक्ति आ जाए, यह किसी को नहीं पता। इतना जरूर है कि इस वजह से भीषण हादसे होते हैं।

बरेली-बदायूं हाईवे को फोरलेन किया जा चुका है लेकिन इस फोरलेन के बीच लगे डिवाइडर पर न तो हरियाली है और न ही डिवाइडरों के बीच बनाए गए कटआउट मानक के अनुसार हैं। निर्माणदायी संस्था के इंजीनियरों ने जहां मन चाहा, वहां कट खोल दिया। जहां इच्छा हुई वहां जरूरत से ज्यादा लंबा डिवाइडर बना दिया। खासियत यह भी है कि फोरलेन से सटे गांवों की जानकारी के लिए कोई संकेतक यहां नहीं लगाया गया है। दिन में लोग खुद देखभाल कर चलते हैं, जबकि रात को विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों की रोशनी में डिवाइडर दिखना बंद हो जाता है और अक्सर वाहन डिवाइडर से छू जाते हैं। जिक्र कोहरे के मौसम का करें तो दिन में भी धुंध के चलते सड़क के गड्ढे नहीं दिखते और गांवों से अचानक पैदल या वाहन चालक निकलते हैं तो हाईवे पर पहुंचते ही हादसे की संभावना बन जाती है। जरा सी चूक से यहां निश्चित हादसा होने की आशंका रहती है। इंसेट

गलत लगे हैं संकेतक

- जिले में संकेतक कितने सही लगाए गए हैं, इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि शहर में ओवरब्रिज के पास स्पीड ब्रेकर का संकेतांक लगा हुआ है। जबकि इस संकेतांक के एक किलोमीटर के दायरे में कोई स्पीड ब्रेकर ही नहीं है। इस संकेतांक का पालन करने वाले का केवल वक्त ही बर्बाद होगा, क्योंकि वह धीमी गति से वाहन को चलाता रहेगा और स्पीड ब्रेकर नहीं मिलेगा। जेल रोड पर भी एक बोर्ड तो लगाया गया है लेकिन उस पर कोई संकेतक ही नहीं है। इंसेट

बाइपास पर अखर रही आइलैंड की कमी

- बरेली-बदायूं फोरलेन को आगरा फोरलेन से जोड़ने के लिए तकरीबन सात किलोमीटर लंबा बाइपास बनाया गया है। ताकि भारी वाहन शहर के भीतर न जाकर उसी मार्ग से गुजरें और शहर की यातायात व्यवस्था पटरी पर रहे। वहीं इस बाईपास पर आंवला रोड, बिसौली रोड और बिल्सी रोड पर चौराहे भी बनाए गए हैं। फोरलेन के चौराहों पर आइलैंड का निर्माण नहीं किया गया है। ऐसे में यहां नियमों को दरकिनार कर जहां से जिसे जगह मिलती है वह वाहन दौड़ा देता है।

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