मेला ककोड़ा : गंगा किनारे पहुंचे अधिकारी, लिया हालात का जायजा

जेएनएन बदायूं रुहेलखंड के मिनी कुंभ मेला ककोड़ा को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 01:42 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 01:42 AM (IST)
मेला ककोड़ा : गंगा किनारे पहुंचे अधिकारी, लिया हालात का जायजा
मेला ककोड़ा : गंगा किनारे पहुंचे अधिकारी, लिया हालात का जायजा

जेएनएन, बदायूं : रुहेलखंड के मिनी कुंभ मेला ककोड़ा को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है। शासन से अनुमति मिल जाने के बाद जिला प्रशासन ने तैयारी तो शुरू की हैं, लेकिन गंगा में आई बाढ़ की वजह से अभी आयोजन स्थल तक भी पहुंचना मुश्किल हो रहा है। जिलाधिकारी दीपा रंजन के निर्देश पर एसडीएम सदर डा.राजेश कुमार और जिला पंचायत के अधिकारियों ने आयोजन स्थल का जायजा लिया, हालांकि रास्ते में बाढ़ का पानी भरा हुआ है, इसलिए मेला स्थल तक अधिकारी नहीं पहुंच सके। जिला पंचायत की ओर से लगाए जाने वाले इस मेले की तैयारी तीन महीने पहले शुरू हो जाया करती थी, अब महज 20 दिन का समय बचा है, इन हालातों में पुराने स्वरूप में मेला लगवा पाना आसान नहीं होगा।

आस्था, परंपरा और संस्कृति का अनूठा संगठन ककोड़ा मेला में जिले के अलावा बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत, सम्भल के अलावा दूर-दूर से श्रद्धालु प्रवास करने पहुंचते हैं। मुख्य स्नान पर्व पर चार से पांच लाख तक की भीड़ जुट जाती है। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो साल मेला नहीं लगा। जिला पंचायत के अधिकारियों ने सिर्फ परंपरा का निर्वहन किया था। जिला प्रशासन ने शासन से अनुमति लेने के लिए प्रस्ताव तो एक महीने पहले भेज दिया था, लेकिन अब जाकर कोविड गाइडलाइन के साथ मेला लगवाने की अनुमति मिली है। आयोजन स्थल पर बाढ़ का पानी भरा होने से अधिकारी समझ नहीं पा रहे हैं कि किस तरह से आयोजन किया जाए। मंगलवार को एसडीएम सदर जिला पंचायत के अधिकारियों के साथ मौका मुआयना करने जरूर पहुंचे, लेकिन मुख्य मार्ग के बाद जहां से कच्चा मार्ग शुरू होता है उसमें बाढ़ का पानी भरा होने से आगे नहीं जा सके। जिलाधिकारी दीपा रंजन का कहना है कि अभी वक्त है, हालात को देखते हुए जो भी बेहतर होगा निर्णय लिया जाएगा। आसान नहीं मेला का आयोजन

ककोड़ा मेला का आयोजन करना आसान काम नहीं है। करीब तीन किमी तक कच्चा मार्ग बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। यह काम दो महीना पहले ही शुरू हो जाता है। इसके अलावा मेले में जन प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक के आवास, स्नान घाट, हैंडपंप और लाइट का इंतजाम कराने में काफी समय लगता है। टेंट भी किसी दूसरे जिले से मंगाया जाता है, इस बार अभी तक टेंट, बिजली, हैंडपंप किसी का भी ठेका नहीं हुआ है। गंगा तट पर पहुंचे गायत्री परिजन, किया दीपदान

जासं, बदायूं : ककोड़ा मेला की हलचल शुरू होते ही गायत्री परिवार के परिजन आयोजन स्थल का हाल देखने पहुंच गए। पगडंडियों और बाढ़ के पानी के बीच से होते हुए मुख्य स्नान घाट के पास तक पहुंच गए। गंगा पूजन कर दीपदान भी किया और मां भागीरथी को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया। गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि जिस देश में सत्य सिद्ध करने के लिए गंगा की सौगंध ली जाती हो। ऐसी पवित्रता मां गंगा में है। भागीरथ ने कठोर तप कर मां गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाए। मोक्षदायिनी मां गंगा पापों का नाश कर सभी का सदियों से उद्धार करती आ रहीं हैं। मां गंगा की निर्मल धारा में जल नहीं, अमृत प्रवाहित होता है। गंगा में बासी फूल, साबुन-शैंपू, प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों का विसर्जन न करें। कूड़ा भूविसर्जित करें। निर्मल गंगा जन अभियान के सुखपाल शर्मा, राजवीर यादव, हेमंत, मृत्युंजय, सौम्या, भूमि आदि मौजूद रहे।

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