एसएनसीयू में घटी शिशु मृत्युदर, 144 भर्ती 11 की मौत
एमएनसीयू खुलने के बाद से जिले में शिशु मृत्युदर काफी हद तक कम हुई है। पिछले महीने एसएनसीयू में 11 नवजातों की मौत हुई है। जबकि इससे पहले यह आंकड़ा 25 से 32 के बीच रहता था।
सफलता के प्रयास : - तीन महीने से 25 से 32 के बीच रहता था मौत का आंकड़ा
- एमएनसीयू खुलने पर काबू में आए हालात, महकमे में खुशी जागरण संवाददाता, बदायूं : एमएनसीयू खुलने के बाद से जिले में शिशु मृत्युदर काफी हद तक कम हुई है। पिछले महीने एसएनसीयू में 11 नवजातों की मौत हुई है। जबकि इससे पहले यह आंकड़ा 25 से 32 के बीच रहता था। माना जा रहा है कि अधिकांश नवजात अपनी मां से दूर रहने के कारण काल का ग्रास बनते थे। जबकि एमएनसीयू में मां और नवजात साथ रहने से उनकी मृत्युदर में गिरावट आई है।
जिला महिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में जून में एक महीने में 19 बच्चों की मौत हुई थी। इसके बाद यह आंकड़ा बढ़ने लगा। जुलाई, अगस्त और सितंबर में भी इसमें भर्ती नवजातों की मौत का सिलसिला नहीं थमा। आलम यह रहा कि डीजी परिवार कल्याण को भी यहां पहुंचना पड़ा। उन्होंने मरने वाले नवजातों की बीएचटी देखी। अन्य रिपोर्ट का भी आंकलन किया। पाया कि अधिकांश वही नवजात मरे, जो कम समय में पैदा हो गए थे। वहीं यह भी माना जा रहा था कि एसएनसीयू में संक्रमण फैला हुआ था। फिर बना एमएनसीयू
पिछले दिनों महिला अस्पताल में ही देश का पहला एमएनसीयू बनाया गया। इसमें पैदा होने के बाद नवजातों को उनकी मां के साथ ही रखा जा रहा है। बेहद गंभीर स्थिति में ही नवजात को एसएनसीयू में शिफ्ट किया जाता है। साधारण बीमारी के दौरान मां के साथ रखकर उसका इलाज होता है और केएमसी भी दी जाती है। ऐसे में शिशु मृत्युदर में गिरावट आई है। एमएनसीयू खुलने के बाद जहां महीनेभर में 144 नवजात भर्ती हुए, वहीं मृत्यु का आंकड़ा महज 11 का रह गया। वर्जन ::
अधिकांशत: उन्हीं बच्चों की मौत हुई है, जो कम समय में पैदा हो गए थे। आमतौर पर सभी बच्चों का इलाज किया जा रहा है। एमएनसीयू खुलने से मौत के आंकड़ों में काफी गिरावट आई है।
- डॉ. संदीप वाष्र्णेय, बाल रोग विशेषज्ञ महिला अस्पताल
वर्जन ::
एमएनसीयू के लाभ दिखना शुरू हो गए हैं। इससे पिछले महीनों के अपेक्षा शिशु मृत्यु दर काफी कम हुई है। उम्मीद है कि भविष्य में इसके और फायदे सामने आएंगे।
- डॉ. मंजीत सिंह, प्रभारी सीएमओ
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