रैपुरा में जिंदा जली मासूम के स्वजनों को मिलेगी चार लाख की आर्थिक मदद

गंगा की कटरी में बसा रैपुरा गांव चूल्हे से उठी चिगारी से उजड़ सा गया है। अग्निकांड में यहां 38 झोपड़ियां जलकर खाक चुकी हैं। अधिकांश परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। बुधवार को हुए अग्निकांड में जिदा जली मासूम के स्वजन को प्रशासन चार लाख रुपये की मदद दिलाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Mar 2021 12:37 AM (IST) Updated:Fri, 19 Mar 2021 12:37 AM (IST)
रैपुरा में जिंदा जली मासूम के स्वजनों को मिलेगी चार लाख की आर्थिक मदद
रैपुरा में जिंदा जली मासूम के स्वजनों को मिलेगी चार लाख की आर्थिक मदद

जेएनएन, उसहैत : गंगा की कटरी में बसा रैपुरा गांव चूल्हे से उठी चिगारी से उजड़ सा गया है। अग्निकांड में यहां 38 झोपड़ियां जलकर खाक चुकी हैं। अधिकांश परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। बुधवार को हुए अग्निकांड में जिदा जली मासूम के स्वजन को प्रशासन चार लाख रुपये की मदद दिलाएगा। सभी अग्निपीड़ित परिवारों को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना में पक्के मकान दिए जाएंगे। फौरी तौर पर राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को भोजन मुहैया कराने के लिए कोटेदार को लगाया है। खाद्यान्न का भी वितरण कराया।

उसहैत थाना क्षेत्र के रैपुरा गांव में बुधवार को खाना बनाते समय चूल्हे की चिगारी से आग लगी। पछुआ हवाएं चलने से कुछ देर में 38 झोपड़ियां जलकर राख हो गई। थानेदार कश्यप की चार वर्षीय बेटी वंशिका की जलकर मौत हो गई थी। उसहैत और दातागंज से गांव तक पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं था। पुलिस ने फर्रुखाबाद के कायमगंज से दमकल विभाग की टीम बुलाया। फिर आग पर काबू पाया गया। गुरुवार को शेखूपुर विधायक धर्मेंद्र शाक्य, एडीएम वित्त एवं राजस्व नरेंद्र बहादुर सिंह, एसडीएम दातांगज पारसनाथ मौर्य राजस्व विभाग की टीम के साथ गांव पहुंचे। ग्रामीणों को खाने-पीने की वस्तुएं वितरित कराईं। कोटेदार को फौरी तौर पर खाने का पैकेट बनवाकर वितरण के निर्देश दिए। बताया कि जिस मासूम बालिका की जलकर मौत हुई है। उसके स्वजन को चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से दिलाई जाएगी। इसके अलावा सभी अग्निपीड़ितों को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता और आकलन के आधार पर आर्थिक मदद दिलाई जाएगी। विधायक ने भरोसा दिलाया कि अग्निपीड़ितों की हरसंभव मदद की जाएगी। ग्रामीणों को फौरी तौर पर राहत तो मिल गई है। लेकिन, अपना उजड़ा आशियाना देखकर उनकी चिता अभी दूर नहीं हो पा रही है। उन्हें सरकारी मदद का इंतजार है।

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