सीएचसी बिल्सी में डॉक्टर और दवाओं का अकाल

बदायूं : स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन तो चमाचम बन गया है, लेकिन मरीजों को चिकित्सकीय

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Mar 2018 11:38 PM (IST) Updated:Fri, 16 Mar 2018 11:38 PM (IST)
सीएचसी बिल्सी में डॉक्टर और दवाओं का अकाल
सीएचसी बिल्सी में डॉक्टर और दवाओं का अकाल

बदायूं : स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन तो चमाचम बन गया है, लेकिन मरीजों को चिकित्सकीय सुविधाओं के नाम पर महज खानापूरी ही की जा रही है। हर मर्ज की एक ही तरह की दवाएं मिल पा रही हैं। चिकित्सा प्रभारी का पद रिक्त है, बिनावर के एमओआइसी को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है, लेकिन वह यहां कम ही समय दे पाते हैं।

सीएचसी पर चार चिकित्सक दो फार्मेसिस्ट हैं। जिनमें नौ मार्च को सुनील कुमार शर्मा का और दूसरे फार्मासिस्ट पंकज कुमार सक्सेना का 14 मार्च को स्थानांतरण कर दिया गया है, लेकिन अभी तक किसी दूसरे फार्मेसिस्ट को बिल्सी के लिए नहीं भेजा गया है। केंद्र में केवल चार डॉ.फिजीशियन तैनात हैं और पांच डॉक्टर संविदा के तैनात हैं। अस्पताल में मिले एमपीडब्यू अनिल ने बताया कि यहां आठ डॉक्टर होने चाहिए, लेकिन चार ही स्थायी डॉक्टर तैनात हैं। चार डॉक्टरों के पद खाली हैं।

हड्डी सर्जन, डेंटल सर्जन, आई सर्जन और महिला डॉक्टर एमबीबीएस तथा रेडियोलॉजिस्ट आदि डॉक्टरों की कमी है। स्वास्थ्य केंद्र पर चार ही डॉक्टर है और इन चार डॉक्टरों के सहारे ही बिल्सी क्षेत्र की जनता का इलाज हो पा रहा है। पांच संविदा डॉक्टर हैं जो फील्ड में प्राथमिक स्कूलों मे पढ़ने वाले बच्चों को उपचार सलाह व दवा देते हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ.कृष्ण कुमार ¨सह का कुछ समय पहले एक्सीडेंट हो गया था। जिसके कारण वह अपना इलाज करा रहे हैं और बिल्सी सीएचसी डॉ.दुष्यंत कुमार को अतिरिक्त चार्ज देकर अधीक्षक बनाया गया है, लेकिन वह बिनावर पर तैनात हैँ, इसलिए यहां समस्या बनी हुई है। स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों को ठहरने व बैठने के लिए किसी मरीज को रैन बसेरा नहीं खोला गया है बल्कि मरीज जमीन पर बैठकर डॉक्टर व दवाए लेने का इंतजार करते रहते हैं या अपने घर से चिटाई और पल्ली लेकर जमीन पर बिछाकर बैठते हैं। रैन बसेरे में यहां ताला ही लगा रहता है।

अस्पताल प्रांगण में नवीन भवन का हो चुका निर्माण

समुदाय स्वास्थ्य केंद्र के बराबर नए अस्पताल का उद्घाटन क्षेत्रीय भाजपा विधायक आरके शर्मा द्वारा पांच माह पूर्व किया जा चुका है लेकिन उद्घाटन होने के बाद एक भी मरीज को इस अस्पताल से दवा या इलाज नहीं दिया जाता है। उद्घाटन के बाद भी इस अस्पताल को खोला ही नहीं गया बल्कि जैसा ताला लगा था वैसा ही ताला लगा रहता है। यहां तो सरकार ने हॉस्पिटल बनवाकर पैसा अपना व्यर्थ किया है। तीस शैय्या के अस्पताल से क्षेत्रीय जनता को मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं भी मोहिया नहीं हो पा रही है।

बोले मरीज, हर मर्ज की मिल रही एक दवा

अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे लेहरा अब्दुलापुर के बच्चन खान का कहना था कि यहां हर मर्ज की दवा एक ही होती है। चाहे वह किसी भी मर्ज की लो वहीं चार गोलियां उठा कर दे देते हैं। बाकी सारी दवाएं पता नहीं कहां रखते हैं। बैन गांव के भानु प्रताप अपने पिता को दवा दिलाने आए थे। उनका कहना था कि अस्पताल में डॉक्टर कभी कभार ही मिल पाते हैं। आए दिन घंटों इंतजार करना पड़ता है। दवा से आराम मिलना न मिलना सब एक जैसा ही लगता है। बस गरीबी के कारण आना पड़ता है। सरताज का कहना था कि कुत्त के काट लेने पर यहां एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं लग पाता। दो बजे के बाद अस्पताल में सन्नाटा छा जाता है।

सीएचसी बिल्सी में मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिले में उपलब्ध डॉक्टरों की संख्या के अनुरूप यहां तैनाती की गई है। चिकित्सकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा दें, अगर कहीं कोई कमी है तो उसे शीघ्र दूर करा दिया जाएगा।

- डॉ.नेमी चंद्रा, सीएमओ

chat bot
आपका साथी