बदायूं में स्वास्थ्य विभाग में नहीं मिल रहा 90 लाख हिसाब-किताब
कोरोना काल में मरीजों की जान बचाने को स्वजन सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक भागते रहे। वहीं मरीजों को इलाज देने वाला स्वास्थ्य महकमा लूट-खसोट में मशगूल रहा। विभाग के एक अधिकारी का कंपनी के प्रतिनिधि से कमीशन की बात करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। तब सीएमओ की छिछालेदर हुई थी।
बदायूं, जेएनएन : कोरोना काल में मरीजों की जान बचाने को स्वजन सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक भागते रहे। वहीं, मरीजों को इलाज देने वाला स्वास्थ्य महकमा लूट-खसोट में मशगूल रहा। विभाग के एक अधिकारी का कंपनी के प्रतिनिधि से कमीशन की बात करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। तब सीएमओ की छिछालेदर हुई थी। सांसद, विधायक निधि से मिले 90 लाख रुपये कहां खर्च हुए। इसका कोई हिसाब नहीं दिया। पहले बोले कि बजट खर्च हो गया। लेकिन जांच का आभास होने पर बजट अवशेष होना बताया जा रहा है। दवाओं की उपलब्धता के साथ मास्क और सैनिटाइजर में भी खेल होता रहा। मेडिकल कालेज में अव्यवस्था पर प्राचार्य को तो हटा दिया। लेकिन, जिले में अव्यवस्था के जिम्मेदार सीएमओ की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।
जिले में कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने पर भी स्वास्थ्य विभाग के अफसर लापरवाह बने रहे। जिला अस्पताल से लेकर पीएचसी, सीएचसी तक की ओपीडी बंद कराकर इमरजेंसी सेवाएं जारी रखने की खानापूरी की जाती रही। गंभीर मरीजों का उपचार करने के बजाय मेडिकल कालेज रेफर करने को वरीयता दी जाती रही। जिला अस्पताल में भी आक्सीजन का अकाल पड़ा। नानकोविड मरीजों की जान भी नहीं बच पा रही थी। पीएचसी, सीएचसी पर तो इमरजेंसी सेवाओं के नाम पर कोरोना की जांच कराई जाती रही। कोरोना किट के नाम पर कुछ दवाएं जरूर पकड़ा दी जा रही थीं। तत्काल जांच के लिए एंटीजन किट का भी अभाव रहा। गांव-गांव मरीजों के सर्वे और जांच के आदेश तो दिए। लेकिन, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त ग्लब्स, जांच किट के इंतजाम नहीं हो सके। पिछली साल कोरोना काल में बदायूं सांसद डा.संघमित्रा मौर्य ने 20 लाख, आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने 10 लाख, नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता, दातागंज विधायक राजीव कुमार सिंह, शेखूपुर विधायक धर्मेंद्र शाक्य, बिसौली विधायक कुशाग्र सागर ने 10 लाख और सहसवान के सपा विधायक ओमकार सिंह ने भी 10-10 लाख रुपये स्वास्थ्य विभाग को दिए थे। 90 लाख रुपये कहां खर्च हुए। स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक हिसाब नहीं दिया है। विकास विभाग से इसका ब्यौरा मांगा है। इसकी जांच कराई जाएगी। इनसेट ::
मेडिकल स्टोरों पर रही अंधेरगर्दी
सरकार ने कोरोना काल में मेडिकल सेक्टर को सबसे ज्यादा सहूलियत दी। लेकिन, मेडिकल स्टोरों से लेकर सर्जिकल उपकरण के प्रतिष्ठानों पर अंधेरगर्दी मची रही। मरीजों के उपचार में सहायक पल्स आक्सीमीटर, नेबुलाइजर, थर्मामीटर, आक्सीजन कंस्ट्रेटर के मनमाने दाम वसूले गए। जरूरी दवाओं को चौगुने रेट पर बेच दिया। लेकिन, अफसरों कहां क्या चल रहा है। यह देखने की जरूरत नहीं समझी।
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चार सीएमओ का नोटिस, अधर में जांच
स्वास्थ्य विभाग में अनियमितता का मामला शासन तक पहुंचा है। अवनि परिधि से स्वीकृत 70 पदों के सापेक्ष 150 पदों पर तैनाती कर दी थी। मौजूदा सीएमओ ने 48 को छोड़कर अन्य कर्मचारियों को निकाला। तब तैनाती से लेकर भुगतान तक में हुई गड़बड़ी की शिकायत शासन तक पहुंची। एडी हेल्थ को इसकी जांच सौंप दी गई। एडी ने वर्तमान समेत चार सीएमओ को नोटिस भेजा है। लेकिन, कोरोना संक्रमण के कारण यह जांच अधर में लटकी है। इनसेट ::
सीएमओ के खिलाफ पनप रहा आक्रोश
कोरोना मरीजों की जांच और उपचार के लिए सीएमओ को नोडल अधिकारी बनाया है। भ्रष्टाचार मुक्ति अभियान के पदाधिकारियों ने विभिन्न आरोपों में घिरे सीएमओ के खिलाफ कोरोना कर्फ्यू के बीच कुटुंब सत्याग्रह करने का निर्णय लिया है। जिला समन्वयक एमएच कादरी ने बताया कि सीएमओ, एसीएमओ और औषधि निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंडलायुक्त और मुख्यमंत्री को ईमेल, ट्विटर, जनसुनवाई पोर्टल से पत्र भेजा जाएगा।
वर्जन ::
बदायूं के सीएमओ समेत स्वास्थ्य विभाग की कुछ जांच लंबित है। नियुक्ति और भुगतान की शिकायत मामले में मौजूदा सीएमओ समेत चार सीएमओ को नोटिस जारी किया है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए अभी लोगों की जान बचाने की चुनौती है। हालात सामान्य होते ही जांच पूरी करके शासन को रिपोर्ट भेजेंगे।
- डा.एसपी अग्रवाल, एडी हेल्थ
वर्जन ::
कोरोना काल में जनता को राहत दिलाने को सांसद, विधायक निधि से लाखों रुपये का बजट स्वास्थ्य विभाग को दिया है। दस लाख रुपये हमने भी अपनी निधि से दिया है। धनराशि कहां खर्च हुई। अफसरों से इसका आडिट करवाएंगे। अगर गड़बड़ी मिली तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
- महेश गुप्ता, राज्यमंत्री