गंगा के जलस्तर में गिरावट, कम नहीं हुई दुश्वारियां
जेएनएन बदायूं गंगा और रामगंगा नदियों के जलस्तर में गिरावट आई है लेकिन बाढ़ पीड़ितों क
जेएनएन बदायूं : गंगा और रामगंगा नदियों के जलस्तर में गिरावट आई है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की दुश्वारियां अभी कम नहीं हुई हैं। गंगा के सैलाब से जहां कछला, सहसवान और उसहैत क्षेत्र के किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं दातागंज तहसील क्षेत्र में रामगंगा में आई बाढ़ से दर्जनों गांव प्रभावित हुए हैं। बाढ़ पीड़ितों को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन बाढ़ पीड़ितों की मदद के दावे तो कर रहा है, लेकिन जरूरत के अनुरूप इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं। बाढ़ से घिरे गांवों में बिजली की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। नरौरा बैराज से छोड़े जा रहे पानी की मात्रा अब घटकर एक लाख 24 हजार 213 क्यूसेक रह गई है। इससे गंगा के जलस्तर में 30 सेमी की गिरावट आई है। कछला का मीटरगेज अब 162.38 मीटर हो गया है। उम्मीद की जा रही है कि दो दिन के भीतर बाढ़ के हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन बाढ़ पीड़ितों के सामने उत्पन्न हुई समस्या से उबरने में अभी वक्त लगेगा। बेमौसम बाढ़ ने तोड़ी किसानों की कमर
संवाद सहयोगी, सहसवान : हर साल गंगा में आने वाली बाढ़ का प्रकोप तकरीबन दो महीने तक रहता है। प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस बार बेमौसम आई बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। पहाड़ों पर हुई भारी बारिश के चलते पिछले तीन चार दिनों से गंगा में आई बाढ़ ने हजारों बीघा धान की कटी फसल और लाही की खेती को बर्बाद कर दिया। गंगा की लहरों का प्रकोप भले ही दो चार दिन में शांत हो जाएगा, लेकिन किसानों को फसल की बर्बादी का दर्द काफी समय तक परेशान करेगा। हर साल गंगा में आने वाली बाढ़ की विनाशकारी लहरों से बने जख्म ग्रामीणों को महीनों तक टीस देते रहते हैं। जिस किसान की फसल जलभराव से नष्ट हो जाती है वह तो इस दर्द से जल्द उबर जाता है। जिसकी जमीन गंगा में समा जाती है वह वर्षों तक गंगा मैया से अपनी जमीन वापसी की प्रार्थना करता है। दो महीने से गंगा तटवर्ती गांवों के ग्रामीणों के लिए दिक्कत का कारण बनी हुई है। गंगा में पानी बढ़ने पर आवागमन में परेशानी होने के साथ ही पशुओं के चारे की समस्या पैदा हो गई है। बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से इसके जो मुआवजा मिलता है वह नाकाफी है। प्रशासन फसल का मुआवजा तो देता है, लेकिन जमीन कटने पर उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिलता।