आईवार्ड फुल, रैनबसेरा भी खोला
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की टीमें जिले में फैले जानलेवा बुखार पर काबू पाने की कोशिश की गई।
बदायूं : लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की टीमें जिले में फैले जानलेवा बुखार पर काबू पाने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन बुखार का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। जिला अस्पताल पहले से ही ओवरलोड है। अब आलम यह है कि रैनबसेरा को वार्ड का रूप दे दिया गया। वहीं 14 बेड वाला आईवार्ड भी बुखार के मरीजों के लिए खोल दिया गया है। इसमें एक बेड पर दो मरीज भर्ती हैं, ऐसे में 28 मरीजों का अकेले आईवार्ड में इलाज चल रहा है।
234 बेड वाला जिला अस्पताल तकरीबन एक पखवाड़ा पहले मरीजों से पट चुका था। इंजरीवार्ड हो या इमरजेंसी या फिर हड्डी वार्ड। हर जगह बुखार के मरीज ही भर्ती किए गए थे। नतीजतन सारे बेड फुल हो गए, जबकि मरीजों का आना कम नहीं हुआ। इस पर 50 नए बेड अस्पताल प्रशासन ने खरीदकर डाले लेकिन यह व्यवस्था भी मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते फेल हो गई। बेड डालने की कोई जगह नहीं बची तो रेनबसेरे को वार्ड का रूप दे दिया गया है। यहां बेड डालने के साथ ही छह पंखे लगाए गए हैं, साथ ही रोशनी की व्यवस्था करके मरीजों को भर्ती किया गया है। वहीं 14 बेड का आईवार्ड भी खोला गया, इसमें भी मरीज पूरी तरह भर चुके हैं।
आंख रोगियों को प्राइवेट वार्ड
- आंख का आपरेशन कराने वाले मरीजों की भर्ती व्यवस्था ध्वस्त होने पर अस्पताल प्रशासन ने तीन बेड का प्राइवेट वार्ड खोल दिया है। यहां आपरेशन के बाद तीन से चार घंटे को मरीज भर्ती किए जाते हैं। कभी-कभी नौबत यह आती है कि एक बेड पर दो मरीज शिफ्ट करने के साथ ही बाकी के मरीजों को इसी वार्ड में बेंच पर लिटाया जा रहा है। वर्जन
अस्पताल के बेड फुल हैं। नए बेड डालने के लिए रैनबसेरे को वार्ड का रूप दिया है। किसी मरीज को लौटाया भी नहीं जा सकता। आईवार्ड भी ओवरलोड हो गया है। मरीजों की संख्या बढ़ने से नहीं रुकी तो कोई और विकल्प देखे जाएंगे। फिलहाल मरीजों को भर्ती करके उनका इलाज करना प्राथमिकता है।
डॉ. यूवी ¨सह, प्रभारी सीएमएस