जल संरक्षण के साथ पर्यटन का केंद्र बन सकते निष्प्रयोज्य तालाब
जो तस्वीर नजर आ रही है। वह किसी नदी की नहीं बल्कि रेलवे की चर्च कालोनी के पीछे बने तालाब की है। जब पारा 38 डिग्री के पार पहुंच रहा है। पानी से लबालब इस तालाब को देखने भर से ही सुकून मिलता है।
जेएनएन, रोजा (शाहजहांपुर) : जो तस्वीर नजर आ रही है। वह किसी नदी की नहीं, बल्कि रेलवे की चर्च कालोनी के पीछे बने तालाब की है। जब पारा 38 डिग्री के पार पहुंच रहा है। पानी से लबालब इस तालाब को देखने भर से ही सुकून मिलता है। लेकिन, प्रशासनिक स्तर पर ध्यान न देने से यह उपेक्षा का शिकार हो रहा है।
रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर क्षेत्र में दो तालाब बारिश का पानी सहेजने का माध्यम बने हैं। इनमें से एक है परशुराम तालाब है। कई वर्ष पहले परशुराम नाम के व्यक्ति इस तालाब की देखरेख करते हैं। उन्हीं के नाम पर तालाब का नामकरण हो गया। लगभग पूरे साल इसमें पानी रहता है। बनावट कुछ इस तरह की है कि आसपास के घरों का पानी इसमें जाता रहता है, लेकिन साफ सफाई न होने से लोग यहां नहीं जाते। दूसरा तालाब बाजार के पास है। यह उपेक्षा का शिकार है। इन दोनों तालाबों का सुंदरीकरण कराया जाए। इससे जल संरक्षण हो सकेगा। फोटो 14 एसएचएन : 28
हमने अपने कार्यकाल में दोनों तालाबों की सफाई व मेंटीनेंस को प्राथमिकता में रखा। पट्टे भी इसलिए किए जाते थे कि पानी की उपलब्धता व साफ सफाई की दिक्कत न हो। अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
अजय गुप्ता पोता, पूर्व चेयरमैन नगर पंचायत रोजा फोटो 14 एसएचएन : 29
पूर्व में तालाब का मछली पालन के लिए नगर पंचायत से एक साल के लिए पट्टा किया जाता था। जो पट्टा लेता था वह देखरेख भी करता था। नगर निगम और रेलवे के अधिकारी संयुक्त रूप से इसका सुंदरीकरण करा सकते हैं।
राकेश विश्वकर्मा
वर्जन :
रेलवे की जमीन पर जो तालाब हैं उनकी सूची तैयार करा रहे हैं। जून में बजट मिलेगा, जिससे इनकी खोदाई व सुंदरीकरण का काम होगा। जो तालाब कालाोनियों में हैं उनमें घरों का पानी जाए। इसके इंतजाम भी किए जाएंगे।
रिषभ दत्त, सहायक मंडल अभियंता रेलवे