बदायूं में नीरज जी को सुनने के लिए रातभर जागते थे श्रोता
काव्य ऋषि गोपालदास नीरज का बदायूं से बहुत गहरा रिश्ता रहा है।
बदायूं : काव्य ऋषि गोपालदास नीरज का बदायूं से बहुत गहरा रिश्ता रहा है। डॉ.ब्रजेंद्र अवस्थी और डॉ.उर्मिलेश अवस्थी के साथ कवि सम्मेलन के अधिकांश मंचों पर उनकी उपस्थिति रही है। बदायूं महोत्सव से लेकर दूसरे बड़े साहित्यिक आयोजनों में में भी वह आते रहे। वह वरिष्ठ कवि थे, उनका नंबर सबसे बाद में आता था, उन्हें सुनने के लिए श्रोता पूरी रात जागते रहते थे। उनके निधन की खबर मिलते ही यहां भी साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ गई।
राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त कवि व गीतकार डॉ. उर्मिलेश के निधन से पहले हर बदायूं महोत्सव में गोपाल जी जरूर शिरकत करते थे। बदायूं के काव्य प्रेमियों को उनका इंतजार रहता था। गांधी ग्राउंड में रामलीला कमेटी की ओर से आयोजित होने वाले कवि सम्मेलनों में भी उनकी उपस्थिति रहती थी। स्मृति वंदन महोत्सव के कवि सम्मेलन में भी वह शामिल हुए थे। डॉ.उर्मिलेश के पुत्र बदायूं क्लब के सचिव डॉ.अक्षत अशेष कहते हैं कि नीरज जी मशहूर कवि डॉ. ब्रजेंद्र अवस्थी और उनके पिता से आत्मीयता का भाव रखते थे। ऐसे में इन दोनों के किसी भी कार्यक्रम में हर हाल में पहुंचते थे। फिर चाहें श्रीरामलीला के बाद होने वाला कवि सम्मेलन हो या फिर नुमाइश समेत बदायूं क्लब में होने वाले आयोजन या फिर कोई मुशायरा। ऐसे में उनके निधन के बाद यही कहा जा सकता है कि बदायूं की जनता ने भी बहुत कुछ खो दिया है। जिसकी भरुपाई असंभव है। कार्यक्रमों में वक्त पर पहुंचना और श्रोताओं की मांग पर निधार्रित वक्त से ज्यादा मंच पर टिके रहने का हुनर ही उन्हें सबके करीब ले आता था। राजनीति हो या देश का ज्वलंत मुद्दा उसे शब्दों में पिरोकर जनमानस के सामने काव्यपाठ के रूप में लाना नीरज जी की आदत में शुमार था। वरिष्ठ कवि डॉ.राम बहादुर व्यथित और अशोक खुराना ने भी उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। पीडब्ल्यूडी संघ भवन में वरिष्ठ मंच संचालक रवींद्र मोहन सक्सेना, संजीव सक्सेना, रामनरेश आदि ने भी नीरज जी की यादें ताजा करते हुए श्रद्धांजलि दी।