एंबुलेंस व्यवस्था चरमराई, जलस्तर बढ़ने से बह गए श्मशान घाट

बदायूजेएनएन जिले में 37 लाख आबादी और 15 ब्लाक पर महज 79 एंबुलेंस है। जिनमें 108 की 36 102 की 41 और एएलएस दो है। संक्रमण की दूसरी लहर में एंबुलेंस की समस्या संक्रमितों के तीमादारों को अखरी थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 01:12 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 01:12 AM (IST)
एंबुलेंस व्यवस्था चरमराई, जलस्तर बढ़ने से बह गए श्मशान घाट
एंबुलेंस व्यवस्था चरमराई, जलस्तर बढ़ने से बह गए श्मशान घाट

बदायू,जेएनएन : जिले में 37 लाख आबादी और 15 ब्लाक पर महज 79 एंबुलेंस है। जिनमें 108 की 36, 102 की 41 और एएलएस दो है। संक्रमण की दूसरी लहर में एंबुलेंस की समस्या संक्रमितों के तीमादारों को अखरी थी। हाल यह था कि तीमारदारों ने मरीजों को दूर-दराज तक ले जाने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस चालकों को भारी कीमत चुकाई थी। जिसकी वजह यह थी कि एंबुलेंस समय रहते मरीजों को सुविधाएं देने में सफल नहीं हो पा रही थी। लेटलतीफी की वजह से सरकारी एंबुलेंस का झंझट छोड़कर प्राइवेट के सहारे ही तीमारदार मरीजों को लेकर दौड़भाग कर रहे थे। इस समस्या का स्वास्थ्य विभाग ने अभी भी निदान नहीं किया है। जिले में इस समय एंबुलेंस की व्यवस्था चरमराई हुई है। इसका मुख्य कारण एएलएस समायोजन को लेकर एंबुलेंस कर्मचारियों की चली हड़ताल है। अभी भी एंबुलेंस व्यवस्था पटरी पर नहीं लौटी है। भले ही कार्यदायी संस्था ने पायलट और चालकों की नई भर्ती करके पुराने कर्मचारियों को सबक सिखाने के लिए चेतावनी दे दी हो मगर नए कर्मचारी तीसरी लहर से निपटने के लिहाज से अभी कुशल नहीं हो पाएंगे। दूसरी ओर जिले में और ज्यादा एंबुलेंस की मांग है। इसको देखते हुए एंबुलेंस की संख्या जस की तस है। ऐसे में अगर संभावित तीसरी लहर आती है तो फिर से एंबुलेंस के लिए हायतौबा मचेगी। मरीजों के स्वजन को फिर से प्राइवेट एंबुलेंस का ही सहारा लेना पड़ सकता है। वहीं, जिले में शव एंबुलेंस भी महज दो ही है। जोकि जिला अस्पताल में खड़ी रहती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पास एंबुलेंस की कमी है। इस लिहाज से स्वास्थ्य विभाग को एंबुलेंसी की संख्या बढ़ाने में ठोस कदम उठाने होंगे। कछला घाट पर अंत्येष्टि के पुख्ता इंतजाम नहीं

जिले में सर्वाधिक अंत्येष्टि कछला गंगा घाट पर होती है। बावजूद यहां कोई उचित इंतजाम नहीं हैं। कोरोना की दूसरी लहर में मरने वालों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हुआ था। स्वास्थ्य विभाग के आकड़ों को छोड़कर कछला घाट पर अंत्येष्टि की बात की जाए तो करीब 25 दिन तक प्रतिदिन मरने वाले संक्रमितों की संख्या 10-15 के बीच रही होगी। आलम यह था कि रात में भी चिताएं जलती देखी गई। इसके बाद भी अभी तक अंत्येष्टि के लिए कोई पुख्ता इंतजाम कछला घाट पर नहीं है। अब जलस्तर बढ़ने से इधर-उधर स्थान तलाशकर अंत्येष्टि की जा रही है। कई साल से नगर पंचायत कछला में निर्माणधीन विद्युत शवदाह गृह अब तक संचालित नहीं हो सका। हालांकि शहर के लालपुल रोड पर मुक्तिधाम है। यहां कोरोना काल में संक्रमितों के शवों की अंत्येष्टि नहीं हुई थी। यहां सिर्फ सामान्य लोगों के शवों की अंत्येष्टि की व्यवस्था रही थी। इसके अलावा अंतृष्टि के कोई इंतजाम नहीं है। वहीं, तीसरी लहर को भी देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इंतजाम नहीं किए गए है। इस संबंध में नगर पंचायत कछला के चेयरमैन नरेश कश्यप का कहना है कि शवदाह गृह की दीवारें जर्जर हो गई है। उन्हें दुरूस्त कराया जा रहा है। साफ सफाई चल रही है। जल्द ही विद्युत शवदाह गृह को संचालित करने की कवायद चल रही है।

15 ब्लाक पर कुल 79 एंबुलेंस है। इनमें से सभी संचालित रहती है। कोरोना की दूसरी लहर में एंबुलेंस की कोई कमी तो नहीं पड़ी थी, फिर भी कुछ संख्या बढ़ाई जाए। जिससे मरीजों को लाने ले जाने की समस्या का निस्तारण हो सकें। हालांकि एंबुलेंस को लेकर विभाग और शासन की तरह से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए है।

रोहित यादव, एंबुलेंस प्रभारी

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