बदायूं में नौ साल बाद बाढ़ की चपेट में आए कछला क्षेत्र के गांव

गंगा में उफान आने से क्षेत्र के गांवों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। वर्ष 2012 में नदी में पानी बढ़ने पर कछला-ननाखेड़ा मार्ग को पार कर पानी गांवों में घुसा था। नौ साल बाद वही स्थिति इस बार फिर से उत्पन्न हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 01:49 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 01:49 AM (IST)
बदायूं में नौ साल बाद बाढ़ की चपेट में आए कछला क्षेत्र के गांव
बदायूं में नौ साल बाद बाढ़ की चपेट में आए कछला क्षेत्र के गांव

कछला (बदायूं), जेएनएन : गंगा में उफान आने से क्षेत्र के गांवों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। वर्ष 2012 में नदी में पानी बढ़ने पर कछला-ननाखेड़ा मार्ग को पार कर पानी गांवों में घुसा था। नौ साल बाद वही स्थिति इस बार फिर से उत्पन्न हो गई है। खजुरारा, सरौता, पलिया, ननाखेड़ा, चौसिगा गांवों में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। खेतों में फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। सड़कों पर पानी बह रहा है। गांव के लोग घरों और छतों पर डेरा डाले हैं। लेकिन, पशुओं को लेकर दिक्कत बढ़ गई है। बाढ़ से फसल बचने की उम्मीद कम दिखने से कुछ लोग कच्ची धान की फसल को ही काटकर सहेजने की कोशिश करने लगे हैं। वहीं, खेत खाली होने पर कुछ किसानों ने सरसों की बोआई शुरू कर दी थी। खेत में पानी भर जाने से मेहनत और पूंजी दोनों बर्बाद हो गई है। सितंबर में बाढ़ का समय गुजर जाने से ग्रामीण निश्चिंत थे। लेकिन, अचानक नदी में पानी बढ़ने से खेतों में लहलहा रही फसलों को लेकर देखे जा रहे सपने टूटने लगे हैं। एक-दो दिन में पानी कम होने की संभावना है, इसलिए गांव के लोग घरों पर ही बने हुए हैं। खाने-पीने की वस्तुएं एकत्रित कर रहे हैं। राजस्व विभाग के अधिकारी निगरानी कर रहे हैं। ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर रहने के निर्देश दिए जा रहे हैं। ग्रामीणों की बात ::

फोटो 22 बीडीएन 12

पांच बीघा खेत में 10 दिन पहले सरसों की बुवाई की थी। बाढ़ आने की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी, लेकिन अचानक नदी में पानी बढ़ जाने से खेत में पानी भर गया है।

- आकाश मौर्य, किसान फोटो 22 बीडीएन 15

बाढ़ में धान की फसल डूब गई। बीते दिनों खेत में बोई सरसों में भी पानी भर गया। दीपावली का त्योहार करीब है, सरकार किसानों को मुआवजा दे।

- आर वीरसिंह, किसान

फोटो 22 बीडीएन 16

खेत में धान और बाजरा की फसल तैयार खड़ी थी, यहां तक बाढ़ का पानी पहुंचने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन सब बर्बाद हो गया।

- सुधीर कुमार, किसान

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