कंपोस्ट पिट से मिलेगी वर्मी खाद, शोक पिट से जल संरक्षण

-ओडीएफ प्लस -सरकार ने अब 2025 तक सभी गांवों को पूरी तरह स्वच्छ बनाने का लिया है संकल्

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:06 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:06 PM (IST)
कंपोस्ट पिट से मिलेगी वर्मी खाद, शोक पिट से जल संरक्षण
कंपोस्ट पिट से मिलेगी वर्मी खाद, शोक पिट से जल संरक्षण

-ओडीएफ प्लस :::

-सरकार ने अब 2025 तक सभी गांवों को पूरी तरह स्वच्छ बनाने का लिया है संकल्प

ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन संग संरक्षित किए जाएंगे हैंडपपों के पानी

- परियोजनाओं के निर्माण से मिलेगी जैविक खाद, बढ़ेगा भू-गर्भ जागरण संवाददाता, आजमगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2014 में हुई थी। गांवों को खुले में शौच से मुक्त कराने के इस विशेष अभियान के तहत वर्ष 2019 तक जिले की 1871 ग्राम पंचायतों में अभियान चला। व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण कराने के बाद सभी राजस्व गांव व मजरे ओडीएफ घोषित किए जा चुके हैं। लेकिन सरकार ने अब 2025 तक सभी गांवों को पूरी तरह स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया है। ओडीएफ प्लस नाम से शुरू होने वाले दूसरे चरण के अभियान के तहत ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन कर सामुदायिक स्तर पर वर्मी कंपोस्ट पिट और जल संचयन के लिए सरकारी व निजी हैंडपपों के पानी को संरक्षित करने के लिए शोकपिट का निर्माण कराया जाएगा। इन दोनों परियोजनाओं के निर्माण से जैविक खाद मिलेगी तो शोकपिट से भू-गर्भ का जलस्तर बढ़ेगा। योजना के तहत व्यक्तिगत शौचाल का निर्माण, सामुदायिक शौचालय का निर्माण, ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में शोक पिट एवं समाहित डंपिग यार्ड का निर्माण कराया जाना है। प्रत्येक गांव में 10 घर पर एक सामुदायिक शोक पिट और 30 हजार आबादी वाले गांव में दो-दो वर्मी कंपोस्ट पिट का निर्माण कराया जाएगा। वर्मी कंपोस्ट पिट के लिए केचुए की खरीद ग्राम पंचायत स्तर पर कराई जाएगी।

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2014 से 2019 तक व्यक्तिगत शौचालय की रिपोर्ट

-5,60,334 कुल शौचालय बने।

-3,95,879 शौचालय (एसबीएम)।

-1,40,930 शौचालय (बेस लाइन से छूटे लाभार्थी)।

-23,525 शौचालय (कोई भी वंचित न रह जाए)।

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शासन की मंशानुसार ओडीएफ प्लस के तहत सभी गांवों को पूरी तरह स्वच्छ व सुंदर बनाया जाना है। इसमें मुख्य रूप से तरल व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं सरकारी व निजी हैंडपपों के पानी को एक जगह एकत्र कर उसे भूगर्भ में संरक्षित करना है। कार्ययोजना तैयार की जा रही है। 2025 तक यह कार्य पूर्ण किया जाना है।

--आनंद कुमार शुक्ला, मुख्य विकास अधिकारी।

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