टीकाकरण सेंटर पर उत्साह पड़ने लगा फीका
जागरण संवाददाता बलरामपुर (आजमगढ़) सुबह के नौ बजे थे। रैदोपुर के रमाशंकर अपनी पत्नी
जागरण संवाददाता, बलरामपुर (आजमगढ़) : सुबह के नौ बजे थे। रैदोपुर के रमाशंकर अपनी पत्नी पूनम संग टीका लगवाने मंडलीय अस्पताल पहुंचे थे। वहां दंपती को ताला लटका नजर आया तो मुख्य गेट पर बैठकर इंतजार करने लगे। सोचे चलो आ गए तो बगैर कोरोना का टीका लगवाकर ही लौटेंगे। पति-पत्नी आपस में बातचीत कर ही रहे थे कि जाफरपुर के महिपाल सिंह आ पहुंचे। सवाल किया नौ बजे खुलना चाहिए, साढ़े 10 बजने जा रहे हैं। रमाशंकर उनकी पत्नी पूनम को 10 कब बज गया इसका इल्म ही न हुआ। घबराए बोले 10 बज गए, अरे बाप रहे एक घंटे बीत गए। उसी दौरान सफाईकर्मी पहुंची तो बोली कि हटिए आपलोग सफाई होने के बाद ही टीका लगाने मैम आएंगी .. मसलन पूरी व्यवस्था ही बेपटरी।
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11 बजे लगा पहला टीका
सुबह साढ़े 10 बजे महिला कर्मचारी पहुंची तो पहला टीका पूनम को सुबह 11 बजे लगाया जा सका। चूंकि पहले ही देर हो चुकी थी, इसलिए बहुतेरे लोग लौट चुके थे। ऐसे में गिनती के 10 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया। उनको टीका लगाने के बाद स्वास्थ कर्मियों के लिए बैठने का ही काम बचा था।
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कोरोना से पहले धूप में मर जाएंगे
जाफरपुर के महिपाल सिंह ने कहा कि टीकाकरण सेंटर खुलने का समय सुबह नौ बजे हैं। लेकिन कायदों को दरकिनार करते हुए 10 बजे खोला जा रहा है। इस समय तीखी धूप हो रही है, लोग सुबह-सुबह वैक्सीन लगवाकर घर लौटना चाहते हैं। यहां पहुंचने पर पता चलता है कि ताला लटका पड़ा है। ऐसे में कोरोना संक्रमण से बाद में धूप से पहले मर जाएंगे। मनचोभा की प्रेमवती उपाध्याय ने भी बातचीत में ऐसी भी प्रतिक्रिया दीं। उनका कहना था कि टीका ही जब कोरोना से बचाव का अचूक हथियार है, तो इसके प्रति स्वास्थ विभाग को गंभीर होना चाहिए।
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टीकाकरण पर एक नजर
क्रमसंख्या-----तारीख-----लक्ष्य-------टीकाकरण
1------एक मई-----------3000------2020
2----दो मई ------------3000-------2000
3----तीन मई---------4000--------2698
4------चार मई------4000--------2313
5----पांच मई--------4000-------2519
6-------छह मई -----4000------2520
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नोट : 65 फीसद से ऊपर नहीं जा पा रही टीका की गति।
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कोवैक्सीन के मरीज लौटत रहे
जागरण संवाददाता, बलरामपुर : मंडलीय अस्पताल में सिर्फ कोविशील्ड का एक बूथ लगा था। ऐसे में उन लोगों को वापस होना पड़ा, जो कोवैक्सिन की दूसरी डोज लगवाने पहुंचे थे। कोवैक्सिन की पहली डोज ले चुके लोग परेशान हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि करें भी तो क्या? दरअसल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण लोगों में मन में डर समा गया है।
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