कारगिल युद्ध में सूबेदार रघुनाथ ने निभाई थी अहम भूमिका
जागरण संवाददाता आजमगढ़ 26 जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान जहां सगड़ी तहसील के रम
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : 26 जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान जहां सगड़ी तहसील के रमेश यादव, रामसमुझ यादव व गुलाब पटेल दुश्मनों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो गए थे। वहीं, तहसील सगड़ी के ही नगवा गांव निवासी सूबेदार(सेवानिवृत्त) रघुनाथ पांडेय ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। जहां एक तरफ पूरा हिदुस्तान सहमा हुआ था, लोगों की सांसे थम गई थीं, उस हालात में सूबेदार रघुनाथ पांडेय ने अहम भूमिका अदा की। उस समय वह तोप बटालियन के सूबेदार थे और युद्ध के दौरान उनके सामने ही एक साथी शहीद हो गया और छह लोग घायल हो गए। कारगिल हिल में यह लोग एक सप्ताह तक भूखे रह गए, फिर भी दुश्मनों से मोर्चा लेते रहे और कारगिल पर विजय का पताका फहराया। कारगिल विजय दिवस पर शुक्रवार को उनके घर पर जश्न का माहौल रहा। उनकी पत्नी व बच्चों ने मिठाइयां खिलाकर रघुनाथ पांडेय के इस हिम्मत का बखान किया जिसे सुन सभी के रोंगटे खड़े हो जा रहे थे।
शहर के लछिरामपुर में निजी मकान बनवाकर रह रहे रघुनाथ पांडेय की बात सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बताया कि वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 527 जवान शहीद हुए थे। यह कारगिल में स्तंभ पर चिह्नित है। इसके अलावा कई अन्यफौजी भी शहीद हुए थे। द्रास से बटालियन तक पोस्टों पर दुश्मनों ने धोखे से कब्जा कर लिया था। इसका भारतीय सेना ने माकूल जवाब दिया। 212 राकेट रेजीमेंट में शामिल सूबेदार रघुनाथ पांडेय अपनी 200 फौजियों की टीम के साथ आगे बढ़ रहे थे। इनको हर हाल में कारगिल हिल तक पहुंचना था। ऐसे में अपने सेना को निर्देश देते हुए सूबेदार खुद आगे-आगे तोप को लेकर बढ़ते रहे। दुश्मन भाग खड़े हुए। इसके बाद 26 जुलाई 1999 पूरी भारतीय सेना कारगिल हिल पर कब्जा जमा लिया और तिरंगा फहराया था। यहां फौजियों व अफसरों ने जमकर खुशियां मनाईं थीं।