शबाना के मेजवां में 'स्त्री' ने आधी आबादी को परखा
-फेयर ट्रेड फोरम इंडिया के प्रोजेक्ट के तहत प्रशिक्षित की गईं महिला हस्तशिल्पी -दक्ष होने
-फेयर ट्रेड फोरम इंडिया के प्रोजेक्ट के तहत प्रशिक्षित की गईं महिला हस्तशिल्पी
-दक्ष होने पर बाजारों में कराई जाएगी उनकी भागीदारी
-बाजार की मांग के अनुरूप अपने व उत्पाद को ढालने के सीखे गुर जागरण संवाददाता, फूलपुर (आजमगढ़): फेयर ट्रेड फोरम इंडिया के 'स्त्री' प्रोजेक्ट के अंतर्गत महिला हस्तशिल्पियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुक्रवार को सिने तारिका शबाना आजमी के पैतृक गांव मेजवां में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस दौरान महिलाओं को ग्रुप में बांटकर उनकी समझ को परखा गया।
मेजवां वेलफेयर फाउंडेशन में हस्तशिल्पी प्रशिक्षण कार्यक्रम का की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई। उसके बाद एफटीएफआइ की फील्ड कोआर्डिनेटर पूनम सिंह ने विषय प्रवेश करते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है कि आधी आबादी यानि महिलाओं को भी समाज मे बराबरी का स्थान मिले। वह भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की तरक्की में अपना योगदान कर सकें, उनकी खुद की पहचान हो और लोग उनके नाम से उन्हें जानें। उन्होंने कहाकि इसी उद्देश्य व सोच को पूरा करने के लिये सरकार उन्हें पंचायतों में भी आरक्षण दे रही है। जिसका परिणाम है कि महिलाएं ग्राम प्रधान व पंचायत सदस्य के रूप में चुनीं जा रही हैं और उनकी सामाजिक पहचान भी बढ़ रही है। लेकिन फेयर ट्रेड फोरम इंडिया संस्था की सोच है कि जो महिला हस्तशिल्प में दक्ष हैं, उन्हें चिह्नित कर उन्हें उनकी कला के अनुसार बाजार में उनकी भागीदारी कराई जाए। महिलाओं के तैयार उत्पाद को कैसे बाजार में जगह दिलाई जाए और वे बाजार की मांग के अनुरूप अपने और अपने उत्पाद को ढाल सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कम्युनिटी फैसिलेटर संयोगिता की भी विशेष भागीदारी रही।
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ग्रुप में बांट परखी गई महिला हस्तशिल्पियों की समझ
कम्युनिटी फैसिलेटर संयोगिता ने चिह्नित हस्तशिल्पियों को डिजाइन थिकिग टूल्स, माइड मैप ,गोल्डेन सर्किल के माध्यम से ग्रुप में बांटकर उनकी समझ को परखा। महिलाओं को बाजार के मांग के अनुरूप उत्पाद तैयार करना, बाजार के अनुरूप अपने हुनर को ढालने पर समझ विकसित की गई।