कोरोना से बचाव को पकड़ी धर्म-कर्म की राह
- आस्था - नंगे पांव गांव की सरहद की परिक्रमा कर की पूजा - संकट के समय ग्रामीणों को य
- आस्था
- नंगे पांव गांव की सरहद की परिक्रमा कर की पूजा
- संकट के समय ग्रामीणों को याद आने लगे भगवान
जागरण संवाददाता, जहानागंज (आजमगढ़) : संकट काल में एक बार फिर धर्म-कर्म के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ रहा है। ऐसा ही कुछ ²श्य सोमवार की सुबह जहानागंज में देखने को मिला।
मुस्तफाबाद एवं बाजार की महिलाएं और पुरुषों ने हाथों में कलश और फूल माला लिए सरहद की परिक्रमा के बाद डीह, काली की पूजा की और कोरोना से रक्षा का वरदान मांगा। वैश्विक महामारी के चलते जब लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं और दवा के बाद भी आराम नहीं मिल पा रहा है, तो लोगों के मन में भगवान के प्रति आस्था जागी है। लोगों ने देवी-देवताओं की पूजा को ही सबसे बड़ा सहारा मानना शुरू कर दिया है। एक सप्ताह से मुस्तफाबाद और बाजार की महिलाएं प्रतिदिन सुबह-शाम डीह, काली को धार देने के साथ-साथ पूजन अर्चन कर रही थीं, तो सोमवार को बंदी की परवाह किए बिना हाथों में कलश लेकर मिश्रा मार्केट, मवेशी खाना, सैयद मोढ़ सहित पूरे गांव का भ्रमण करने के बाद काली के स्थान पर पहुंचकर धार चढ़ाया। वहीं भगवान को भोग के लिए महिलाओं ने हलवा-पूड़ी बनाया। कलश यात्रा में ऐसी महिलाएं भी दिखीं जो शायद ही कभी नंगे पांव घर से बाहर निकली हों, लेकिन कोरोना के खौफ ने उन्हें नंगे पांव गांव भ्रमण करा दिया। कुछ महिलाएं चलने में असमर्थ थीं, लेकिन लगता था कि भगवान ने उनके अंदर ऊर्जा का संचार कर दिया हो।
सबके बाद अधिकतर महिलाओं ने मास्क लगा रखा था।एक महिला ने कहा कि अब कुछ भी हो हम अपनी जिदगी ईश्वर को को ही समर्पित कर रहे हैं। उसे बचाना होगा तो बचाएगा और मारना होगा तो मारेगा। जब कोरोना की कहीं कोई दवा ही नहीं है तो केवल ईश्वर का ही भरोसा रह गया है।