स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है बगावत

-प्रथम क्रांति पर गोष्ठी -प्रमुख इतिहासकारों ने विद्रोह को पूर्वांचल के लिए मशाल की भूमिक

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 06:52 PM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 06:52 PM (IST)
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है बगावत
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है बगावत

-प्रथम क्रांति पर गोष्ठी :::

-प्रमुख इतिहासकारों ने विद्रोह को पूर्वांचल के लिए ''मशाल की भूमिका' के तौर पर लिखा

-जिस वक्त हम लिखेंगे शहीदों की दास्तां, तारीख की रगों में लहू दौड़ जाएगा :डा. रवींद्रनाथ जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : जनवादी लोक मंच के तत्वावधान में ''तीन जून 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक भूमिका को किस प्रकारअक्षुण बनाया जाए' विषय पर सामयिक कारवां कार्यालय में गोष्ठी हुई।

डा. रवींद्र नाथ राय ने 'जिस वक्त हम लिखेंगे शहीदों की दास्तां, तारीख की रगों में लहू दौड़ जाएगा' पंक्तियों से गोष्ठी की शुरुआत की। बताया कि तीन जून 1857 की रात नौ बजे के आसपास ड्रम बजा, दो गोलियों की आवाज कलेक्ट्रेट कचहरी में सुनाई दी। पता चला कि बगावत हो गई। यह बगावत स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गई। प्रमुख इतिहासकारों ने जिले के इस विद्रोह को पूर्वांचल के लिए ''मशाल की भूमिका' के तौर पर लिखा है। बताया कि 10 मई 1857 को मेरठ की छावनी से प्रारंभ प्रथम स्वाधीनता संग्राम की ज्वाला तीन जून 1857 को जिले में पहुंची। कांतिकारियों ने कलेक्ट्री कचहरी, पुलिस लाइन और ट्रेजरी आफिस पर कब्जा कर जेल के फाटक को तोड़ कैदियों को आजाद किया। ब्रिटिश काल में तीन जून 1857 को पहली बार जिला आजाद हुआ था। इंद्रासन सिंह ने बताया कि कांतिक्रारियों ने सात लाख रुपये का ब्रिटिश खजाना लूटा लिया, अंग्रेजों के स्वजन को सुरक्षित गाजीपुर व वाराणसी भेजा। लेफ्टिनेंट हचिग्सन मारा गया। इस विद्रोह का प्रभाव पूरे पूर्वांचल पर पड़ा और जौनपुर, फैजाबाद, वाराणसी सहित तमाम जगहों पर विद्रोह शुरू हो गया। 1857-58 में कुल तीन बार 81 दिन दिन तक जिला कंपनी राज से आजाद रहा। महताब आलम ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में बोधू सिंह यादव, रामटहल सिंह, माधव सिंह,परगना सिंह,गंगा सिंह, हरनाम सिंह, जालिम सिंह,रज्जब अली,जगबंधन सिंह,पृथ्वीपाल सिंह,इरादत जहां, मुजफ्फर जहां, गोगा साहू, भीखू साहू और वीर कुंवर सिंह के नाम प्रसिद्ध हैं। सभी शहीदों को सम्मानपूर्वक याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। अजीत यादव ने बताया कि ब्रिटिश गुलामी की मुक्ति के बाद भी अभी कंपनी राज व लूट से मुक्ति की लड़ाई देश के किसान मजदूर,कर्मचारी,छात्र, नौजवान व आमजन पूरे देश में लड़ रहे हैं। इसलिए जिले के तीनह जून 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की लौ को बुझने नहीं देना है। क्योंकि ये संग्राम भी कंपनी राज के विरुद्ध ही लड़ा गया था। वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा कुंवर सिंह उद्यान में लगाने की अपनी पूर्व मांग को जिला प्रशासन से दोहराया गया। संदीप ने अजीमुल्ला खां रचित प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के राष्ट्र गीत ''हम है इसके मालिक, ये हिदुस्तां हमारा गाया' और राहुल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अजीजन बाई के गीत ''जागो, उठो अब हुआ विहान' हो गया प्रस्तुत किया। अध्यक्षता अनिल चतुर्वेदी व संचालन राहुल ने किया। कार्यक्रम में ताहा कौसर, अजीत यादव, मृत्युंजय, कन्हैया लाल आदि थे।

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