क्षेत्रीय भाषा के सम्मान से हिंदी की व्यापकता

- हिदी की साम‌र्थ्य और चुनौतिया -साहित्यानुरागी की गोष्ठी में शामिल हुए भारतीय शिक्षा परि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 08:11 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 08:11 PM (IST)
क्षेत्रीय भाषा के सम्मान से हिंदी की व्यापकता
क्षेत्रीय भाषा के सम्मान से हिंदी की व्यापकता

- हिदी की साम‌र्थ्य और चुनौतिया:::

-'साहित्यानुरागी' की गोष्ठी में शामिल हुए भारतीय शिक्षा परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष

-हिदी की व्यापकता को स्थानीय भाषाओं का सम्मान जरूरी

--भारतीय समाज में मातृ भाषा हिदी को सर्वमान्य स्थान की जरूरत जागरण संवाददाता, आजमगढ़: हिदी भाषा की व्यापकता तभी होगी जब हम क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करेंगे। जो व्यक्ति अपनी मातृभाषा से कटता है वह अपनी विरासत से कट जाता है। हम सबका कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभाषा हिदी को सम्मान देकर अपनी विरासत को बचाएं। यह बातें भारतीय शिक्षा परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने सोमवार को हिदी दिवस की पूर्व संध्या पर शहर के एक होटल में हिदी सेवी संस्था ''साहित्यानुरागी' की तरफ से आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने ''हिदी की साम‌र्थ्य और चुनौतिया' विषय पर साहित्यिक गोष्ठी और युवा रचनाकार सरोज यादव की कविताओं के संकलन ''ए नाविक, जरा ठहरो ना' का विमोचन भी किया। कहा कि कला साहित्य और संस्कृति की रक्षा हम तभी कर सकते है जब हम अपनी मातृभाषा की ताकत सुरक्षित रखेंगे। उन्होंने कहा कि जब रचना में वाद आता है तो हम वहां उसके यथार्थ से दूर हो जाते है। मातृ शक्ति का सम्मान करने के लिए स्त्री विमर्श की रचनाओं को प्राथमिकता देने की जरूरत है। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता काशी हिदू विश्वविद्यालय के हिदी के प्रोफेसर डा. वशिष्ठ अनूप ने कहा कि भारतीय समाज में आज मातृ भाषा हिदी को सर्वमान्य स्थान की जरूरत है। हिदी की कविता में यदि कुछ कमियां हो तो यह समझ लीजिए रचनाकार समृद्ध है। डायट प्राचार्य अमरनाथ राय ने कहा कि समाज की पीड़ा को साहित्य के माध्यम से प्रकट करना एक सशक्त व्यवस्था है। साहित्यकार द्विजराम यादव, राजाराम सिंह एवं सोनी पांडेय ने हिदी की महत्ता और रचनात्मकता की चर्चा की। साहित्यानुरागी की अध्यक्ष डा. मनीषा मिश्रा ने आगतजनों का स्वागत किया। अध्यक्षता साहित्यानुरागी की संरक्षक डा. मालती मिश्रा व संचालन अंशु अस्थाना और रचनाकार सरोज यादव ने आभार व्यक्त किया। भाल चंद्र त्रिपाठी, ईश्वर चंद त्रिपाठी, चित्रा पवार, प्रभुनारायण पांडेय प्रेमी, हरिहर पाठक, बालेदीन बेसहारा, शिखा मौर्य आदि थे।

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सरस्वती वंदना से शुभारंभ :::

साहित्यानुरागी संचालन समिति से जुड़े विदुषी अस्थाना, रविद्र अस्थाना, विजेंद्र श्रीवास्तव, पूनम तिवारी, स्नेहलता राय, देवेंद्र तिवारी, प्रीति गिरी, प्रज्ञा कौशिक, प्रशांत मिश्र ने आगत अतिथियों को स्मृति चिह्न, बुके और बैज लगाकर अभिनंदन किया। कार्यक्रम की शुरुआत अथितियों ने सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। बलिया से आईं सुनीता पाठक ने सरोज यादव की लिखित सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

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