सरकारी ठेके से बिकती थी जहरीली शराब, सिपाही समेत चार गिरफ्तार
जहरीली शराब कांड -मौत के तीन सौदागरों से पूछताछ के बाद चंगुल में आया कांस्टेबल अि
जहरीली शराब कांड :::
-मौत के तीन सौदागरों से पूछताछ के बाद चंगुल में आया कांस्टेबल अविनाश
-पुलिस ने माना कि जहरीली शराब से हुई हैं मौतें
-सच्चाई सामने आई, रैपर, ढक्कन और शीशियां बरामद जागरण संवाददाता, पवई (आजमगढ़) : सच्चाई से उठ गया पर्दा। सरकारी ठेके से जहरीली शराब बेची जाती थी। गिरफ्तार मौत के सौदागरों से पूछताछ में सिपाही अविनाश का नाम आने पर उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। दबिश पड़ी तो भारी मात्रा में शराब की बोतलें, रैपर, ढक्कर इत्यादि बरामद हुए हैं। गुनहगारों की गिरफ्तारी के बाद लोगों के मन में राहत जरूर है, लेकिन उनका कहना है कि आखिर उनके अपनों के खोने की भरपाई कौन करेगा?
जहरीली शराब से आजमगढ़ में हुई मौतों के मामले में पुलिस ने शशि प्रकाश साहू, राजेश अग्रहरी निवासी मित्तूपुर, दुर्ग विजय सिंह निवासी इमलीपुर पेटिया को पुलिस ने गिरफ्तार किया। मौत के सौदागरों से पूछताछ के बाद पवई थाने में तैनात रहे निलंबित कांस्टेबल अविनाश प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया कि वे पवई अंतर्गत मित्तूपुर की सरकारी ठेके की दुकान पर शराब बेचने का काम करते हैं। उसकी आड़ में अवैध शराब को बोतलों में भरकर लाइसेंसी दुकानों पर बेचने को देते थे। पुलिस ने गिरफ्तार शशि प्रकाश साहू की निशानदेही पर उसके घर से विभिन्न ब्रांडों की रैपर लगी शीशियां, 850 से अधिक शीशियों के ढक्कन, अवैध तरीके से बनाई गई जहरीली शराब बरामद हुई है।
मोतीलाल को रिमांड पर लेगी पुलिस
आजमगढ़ : मौत के सौदागर गिरोह के कथित सरगना मोती को पुलिस रिमांड पर लेगी। पुलिस के दावे की माने तो पूरे गिरोह का भंडा फोड करना चाहती है। जहरीली शराब पीने बीमार पड़े लोगों ने भी मोती लाल का नाम लिया है। उसके लोग 150 रुपये में शराब की शीशी बेचते थे। चूंकि लॉकडाउन में पास-पड़ोस की कई दुकानें बंद थी, इसलिए जेब भरने के लिए जहरीली शराब बेच डाली गई। मोती को अंबेडकर नगर की पुलिस पहले ही सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है।
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गहराई से जांच हो तो जिम्मेदार भी फसेंगे
आजमगढ़ : जहरीली शराब से हुई मौतों को सरकार गंभीरता से लेकर जांच कराए तो कई जिम्मेदारों की गर्दर फंसेगी। मित्तूपुर के लोगों को कहना है कि एक अदने से सिपाही के बूते की बात नहीं रुपये लेकर लोगों की जान से खेलना। इसमें ऊपर के अधिकारियों की मर्जी होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। बहरहाल, सच्चाई चाहे जो भी हो बेगुनाहों की जान से खेलने वालों को सजा दिलाने के लिए जांच तो होनी ही चाहिए।