ट्रैफिक नियमों को तोड़ने में लोग समझते हैं अपनी शान
यातायात नियमों के आदेश का उल्लंघन करने में जिले के लोग अपनी शान समझते हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों की सड़कों पर बेधड़क बगैर हेलमेट के फर्राटा भरते हुए दो पहिया वाहन चालक कहीं भी नजर आ सकते हैं।
आजमगढ़ : यातायात नियमों के आदेश का उल्लंघन करने में जिले के लोग अपनी शान समझते हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक की सड़कों पर बेधड़क बिना हेलमेट फर्राटा भरते दो पहिया वाहन चालक कहीं भी नजर आ जाएंगे। वहीं चार पहिया वाहन चालक के साथ ही उस पर सवार लोग भी अपनी सुरक्षा के साथ स्वयं खिलवाड़ कर सीट बेल्ट लगाना भी उचित नहीं समझते हैं। लोगों की इस लापरवाही के चलते ही जिले में घटित होने वाली दुर्घटनाओं में देखा जाए तो ज्यादातर लोगों की मौत का कारण सीट बेल्ट व हेलमेट नहीं पहनना ही सामने आता है।
अन्य जिलों की अपेक्षा यहां के अधिकतर लोग ट्रैफिक नियमों को तोड़ना अपनी शान समझते हैं। शहरों में तो थोड़ा नियम लोग मान भी लेते हैं, लेकिन ग्रामीण अंचलों के लोग ट्रैफिक नियमों का पालन न के बराबर करते हैं। कार ड्राइव करते समय ड्राइवर और सामने बैठे पैसेंजर को सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है। इसमें ड्राइवर तो कहीं सीट बेल्ट पहने दिख जाते हैं, लेकिन आगे बैठे पैसेंजर बहुत कम होते हैं जो सीट बेल्ट लगाते हैं। पिछली सीट पर बैठने वाले तो शायद ही कभी सीट बेल्ट लगाते हैं।
इसी प्रकार दो पहिया वाहन चालकों के साथ ही पीछे की सीट पर बैठे लोग भी हेलमेट न पहनना अपनी शान समझते हैं। पुलिस का जब डंडा चलता है तो अधिकतर दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगाकर गाड़ी चलाते हुए देखे जा सकते हैं, पर पीछे बैठने वाला कोई भी पैसेंजर हेलमेट पहने हुए नहीं देखा जा सकता है। जबकि बड़े शहरों में नियम सख्त होने से इसका किसी में उल्लंघन करने की साहस नहीं होती है। जिले में कानून का पालन कराने वाले अधिकारियों के लचीलेपन के चलते ही इस नियम का पालन लोग नहीं कर रहे हैं। सभी के लिए समान है कानून
कार हो या कोई भी चार पहिया वाहन यात्रा के दौरान चालक के साथ ही उस वाहनों के आगे व पीछे बैठने वाले सभी लोगों के लिए सीट बेल्ट लगाना कानूनी तौर पर अनिवार्य है। इसी प्रकार से दो पहिया वाहन चालक के साथ ही उस पर पीछे बैठे लोगों के लिए भी हेलमेट पहनना अनिवार्य किया गया है। हेलमेट व सीट बेल्ट का लोग क्यों करते हैं उल्लंघन
जी हां, एक सर्वे में पाया गया है कि लगभग 50 प्रतिशत लोग ऐसा मानते हैं कि सीट बेल्ट लगाने व हेलमेट पहनने से लोग उन्हें डरपोक मानेंगे। इससे लोगों को लगेगा कि ये मरने से डरता है। कई लोग इसे कमजोरी की निशानी भी मानते हैं। लोगों ने कहा कि यदि वे सीट बेल्ट लगाते हैं व हेलमेट पहनते हैं तो उनके सहयात्री उन्हें अलग नजर से देखते हैं और कई बार उनका मजाक भी उड़ाते हैं। ''जिले में घटित होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की संख्या पर नजर डालें तो इनमें से 30 प्रतिशत लोगों की मौत हेलमेट न पहनने व सीट बेल्ट नहीं लगाने से होती है। इनमें अधिकतर युवा होते हैं, इसलिए हम लोगों से आह्वान करेंगे कि वे जीवन का मोल समझें और बाइक चलाते वक्त हेलमेट जरूर पहनें। इसी प्रकार कार व चार पहिया वाहन में सफर करते समय भी सीट बेल्ट का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से करें। लोगों को आज से ही अपनी आदत बदल लेनी चाहिए। अपनी ¨जदगी के साथ ही दूसरे की ¨जदगी की जिम्मेदारी आप सभी की है।
-रवि शंकर छबि, पुलिस अधीक्षक, आजमगढ़