प्रतिबंधित हरितपट्टी क्षेत्र में दस साल में सिर्फ एक ध्वस्तीकरण

शहर को तीन तरफ से घेर कर बहने वाली तमसा नदी अतिक्रमण के बोझ से कराह रही है। जीवनदायिनी कही जाने वाली पौराणिक नदी का दायरा सिमटता जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Dec 2018 11:47 PM (IST) Updated:Sat, 15 Dec 2018 11:47 PM (IST)
प्रतिबंधित हरितपट्टी क्षेत्र में दस साल में सिर्फ एक ध्वस्तीकरण
प्रतिबंधित हरितपट्टी क्षेत्र में दस साल में सिर्फ एक ध्वस्तीकरण

आजमगढ़ : शहर को तीन तरफ से घेर कर बहने वाली तमसा नदी अतिक्रमण के बोझ से कराह रही है। जीवनदायिनी कही जाने वाली पौराणिक नदी का दायरा सिमटता जा रहा है। विकास की रफ्तार ऐसी कि प्रतिबंधित हरितपट्टी क्षेत्र में अस्थाई व स्थाई निर्माण होते जा रहे हैं। उधर, विकास प्राधिकरण (एडीए) कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी आंकड़ों तक ही सीमित है। ताज्जुब तो यह है कि प्राधिकरण का गठन हुए दस साल हो गए पर अब तक अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तीकरण की सिर्फ एक ही कार्रवाई हो सकी है। इसके अलावा ध्वस्तीकरण की जो कार्रवाई हुई भी, वह केवल विभागीय धौंस रही।

वर्ष 2008 में जनपद में विकास प्राधिकरण का गठन हुआ। शुरुआती दौर में जो भी स्टॉफ रहे वे केवल कार्यालय तक सीमित रहे। हाल यह हुआ कि प्राधिकरण के गठन के पूर्व जो अस्थाई व स्थाई निर्माण हुए थे उसके अलावा अवैध निर्माण की भरमार हो गई। यहां तक कि कई स्थानों पर प्ला¨टग कर जमीन बेची जाने लगी। मकान बने लगे तो महकमा हरकत में तो आया, लेकिन केवल चिह्नीकरण और नोटिस तक ही सीमित रहा। प्राधिकरण गठन के 10 वर्ष में अब तक हरितपट्टी क्षेत्र में केवल 64 अवैध निर्माण चिह्नित किए गए। विभाग की तरफ से नोटिस जारी की गई। इसमें से 18 प्रकरणों में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का आदेश तो हुआ, लेकिन एक को छोड़ सभी अपीलीय कोर्ट कमिश्नर के न्यायालय में विचाराधीन हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार केवल एक कृष्णा कालेज के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई है। शेष प्रकरणों में सुनवाई चल रही है। ''अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए डीएम के निर्देश पर टीम गठित की गई है। जिन्हें नोटिस जारी किया गया है, उनकी निगरानी की जा रही है। जल्द ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। कई प्रकरण अपीलीय न्यायालय तो कई सुनवाई में चल रहे हैं। महकमा लगातार अवैध निर्माण पर नजर लगाए हैं।''

-रमाशंकर वर्मा, जेई, एडीए।

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