डोडोपुर हादसे में एक और ने तोड़ा दम

-दुखद -घायलों के इलाज में बाधक बन रही धन की कमी -बीएचयू में भी नहीं मिल पा रही सुविधा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 07:58 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 07:58 PM (IST)
डोडोपुर हादसे में एक और ने तोड़ा दम
डोडोपुर हादसे में एक और ने तोड़ा दम

-दुखद ::::

-घायलों के इलाज में बाधक बन रही धन की कमी

-बीएचयू में भी नहीं मिल पा रही सुविधा, गांव में मातम

जागरण संवाददाता, निजामाबाद (आजमगढ़) : वाकई गरीबी एक अभिशाप है और उसके शिकार हो गए डोडोपुर हादसे के शिकार दो लोग। किसी का पति चला गया तो किसी का पिता। गांव में मातम के अलावा कुछ नहीं दिख रहा। कभी गरीबी में भी खुश रहने वाले परिवार के लोगों के चेहरे बुझे हुए हैं।हादसे के दूसरे दिन बनारस ले जाते समय रास्ते में महसर ने दम तोड़ा, तो उसके बाद बीएचयू में इलाज के दौरान हाकुर की जान चली गई।

हादसे में घायल दूसरी मौत के बाद यह तो तय हो गया है कि जोगी समाज की गरीबी भारी पड़ने लगी है।नेताओं के दौरे तो हुए, लेकिन इतनी मदद किसी ने नहीं की, जिससे इलाज का खर्च पूरा किया जा सके।खुद का समाज भी सम्पन्न नहीं कि मदद कर सके।कुछ लोग अपने स्तर से सहायता तो दे रहे हैं, लेकिन इलाज का खर्च ज्यादा होने से नाकाफी साबित हो रहा है।

समाज के लोगों पर गौर करें, तो गांव-गांव फेरी लगाकर प्लास्टिक आदि के सामानों को बेचकर परिवार की रोटी का इंतजाम करते हैं।दरअसल डोडोपुर में हादसे के बाद पहले तो सभी को इलाज के लिए मंडलीय जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन स्थिति बिगड़ती देख महसर, रबीरुन, हाकुर, सैफ, नाज को बीएचयू भेजा गया, जिसमें महसर की रास्ते में तो हाकुर की वहां इलाज के दौरान मौत हो गई। शेष तीन लोग अभी भी जीवन-मृत्यु के बीच जूझ रहे हैं। दूसरी ओर सना, सलमा, शाहबाज,फिरदौश, रानू को शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, लेकिन परिवार के लोग इलाज में आने वाला खर्च उठाने की स्थिति में नहीं हैं।

दूसरी ओर तीन परिवारों के सामने तो सिर छिपाने का संकट खड़ा हो गया है।आए दिन राजनीतिक दलों के लोग गांव में पहुंच रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने बेघरों की समस्या का संज्ञान नहीं लिया।

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