फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन से मुकदमों के निस्तारण में आएगी तेजी

महिलाओं व नाबालिक किशोरियों के साथ घटित हो रही छेड़खानी दुराचार की घटनाएं रूकने के बजाए बढ़ती जा रही है। शासन से लेकर पुलिस व प्रशासन की सख्ती के बाद भी यौन उत्पीड़न

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 07:24 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 07:24 PM (IST)
फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन से मुकदमों के निस्तारण में आएगी तेजी
फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन से मुकदमों के निस्तारण में आएगी तेजी

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : महिलाओं व किशोरियों के साथ घटित हो रही छेड़खानी, दुराचार की घटनाएं रुकने की बजाए बढ़ती जा रही हैं। शासन से लेकर पुलिस व प्रशासन की सख्ती के बाद भी यौन उत्पीड़न की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। जिले में देखा जाए तो पॉक्सो कोर्ट में पॉक्सो एक्ट के 696 मुकदमें लंबित हैं। सभी में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, जबकि तीन मुकदमे निस्तारित हो चुके हैं, जिनमें एक मुकदमे में आरोपित को सजा भी सुना दी गई है।

निर्भया कांड के बाद सरकार ने यौन उत्पीड़न की घटनाओं में शामिल आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए वर्ष 2015 में सदन में नया पॉक्सो एक्ट का नया कानून बनाया। नए कानून के बाद से ही किशोरियों के साथ घटित होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाओं में पुलिस की ओर से पॉक्सो एक्ट के तहत थानों पर मुकदमा दर्ज होना शुरू हो गया।

जिले में हाईकोर्ट के आदेश पर 16 अगस्त 2019 को अलग से पॉक्सो कोर्ट का गठन किया गया। उच्च न्यायालय के निर्देश पर अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर- 5 की अदालत में पॉक्सो एक्ट के मुकदमे की सुनवाई की जा रही है। पॉक्सो कोर्ट में वर्तमान में कुल 696 मुकदमे का ट्रायल पर चल रहा है। इनमें इस वर्ष के 681 व वर्ष 2018 के 15 मुकदमे शामिल हैं। उक्त सभी मुकदमे में पुलिस द्वारा आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। पॉक्सो कोर्ट के गठन के बाद अब तक इस वर्ष में कुल 3 मुकदमे निस्तारित किए गए जिनमें से 2 मुकदमे में आरोपितों को दोषमुक्त व गंभीरपुर थाना में दर्ज पॉक्सो के एक मुकदमे में आरोपित को सजा सुनाई गई है, जबकि वर्ष 2018 में भी कोर्ट ने पॉक्सो के एक मुकदमे में आरोपित को सजा सुनाई जा चुकी है।

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ग्यारह माह में दुराचार की 58 घटनाएं

जिले में इस वर्ष एक जनवरी से लेकर 30 नवंबर तक दुराचार की 58 घटनाएं घटित हुईं, जबकि छेड़खानी, लज्जा भंग की कुल 268 घटनाएं घटित हुईं। औसतन देखा जाए तो प्रति माह दुराचार की पांच घटनाएं हुईं। वहीं वर्ष 2018 में एक जनवरी से लेकर 30 नवंबर तक दुराचार की 56 घटनाएं हुई थीं। वहीं छेड़खानी व लज्जा भंग की 317 घटनाएं हुई थीं। इस प्रकार से पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष महिला अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं।

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एंटी रोमियों की शहर में दो व थानों पर एक-एक टीम गठित

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद ही बेटियों की सुरक्षा के लिए जिले में एंटी रोमियो टीम का गठन कर दिया गया। शहर में जहां दो टीम गठित की गई, वहीं थाने स्तर पर भी एक-एक टीम गठित हुई। टीम के गठन के बाद शुरू के कुछ माह तक एंटी रोमियो टीम द्वारा बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की गई। महिला थानाध्यक्ष ज्ञानू प्रिया ने बताया कि एंटी रोमियो टीम की ओर से नवंबर माह में छेड़खानी के चार मुकदमे दर्ज कर दस आरोपितों का चालान किया गया। वहीं अक्टूबर माह में छेड़खानी के दर्ज पांच मुकदमे में बारह आरोपितों का चालान हुआ। नवंबर माह में पकड़े गए आठ शोहदों, अक्टूबर माह में गिरफ्तार 10 शोहदों का शांतिभंग की धारा में चालान किया गया। दो माह में 20 युवकों का जीडी में तस्करा दर्ज करने के बाद उन्हें सुधरने की चेतावनी देकर परिजनों को बुलाकर सुपुर्द कर दिया गया। एंटी रोमियो की टीम पार्क, शहर के भीड़ भाड़ वाले स्थान व स्कूल-कालेजों, रेलवे स्टेशन व रोडवेज पर पहुंच कर चेकिग कर कार्रवाई करती है।

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जिले में पॉक्सो एक्ट के मुकदमे उसकी पॉक्सो कोर्ट में सुनवाई में तेजी लाई गई है। कोर्ट में रोजाना साक्षी आ रहे हैं और उन्हें परीक्षित कराया जा रहा है। उनका पूरा प्रयास रहता है कि आरोपितों को कठोर से कठोर सजा दिलाई जाए। यौन उत्पीड़न के मुकदमे की सुनवाई के लिए शासन की ओर से फास्ट ट्रैक कोर्ट का अलग से गठन करने का कदम सराहनीय है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन हो जाने के बाद से तेजी से यौन उत्पीड़न की घटनाओं के मुकदमे में सुनवाई होगी।

--वेद प्रकाश वर्मा, संयुक्त निदेशक अभियोजन, आजमगढ़।

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