मेरा प्यारा प्रीतम सद्गुरु रखवाला ..
-आयोजन -बिट्ठलघाट गुरुद्वारा में मना गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव -कड़ाह प्रसाद वितरण के
-आयोजन:::
-बिट्ठलघाट गुरुद्वारा में मना गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव
-कड़ाह प्रसाद वितरण के बाद लंगर में मिला एकता का संदेश
-सुबह से ही गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष हाजिरी लगाने की रही होड़ जागरण संवाददाता, आजमगढ़: 'मेरा प्यारा प्रीतम सद्गुरु रखवाला, हम बालक दीन करो प्रतिपाला, मधुसूदन मेरे मन-तन प्यारा'। भजन के यह बोल गूंजे तो जो बोले सो निहाल के उद्घोष से पूरा इलाका गूंज उठा।मौका था शहर के अति प्राचीन गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार बिट्ठलघाट पर गुरुनानक देव के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम का।
शहर के अनंतपुरा मोहल्ला स्थित गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार में सिख संप्रदाय के प्रथम गुरु नानक देव का 552वां प्रकाशोत्सव श्रद्धा और उत्साह के माहौल में मनाया गया। सबद कीर्तन व अरदास के बाद कड़ाह प्रसाद का वितरण किया गया। उसके बाद लोगों ने लंगर चखा। कार्यक्रम को लेकर सिख परिवारों में गजब का उत्साह था। यहां तक कि गुरुद्वारा चरण पादुका साहिब निजामाबाद के जत्थेदार सतनाम सिंह भी गुरु दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे थे।
सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था जो देर शाम तक जारी रहा। महिलाओं और बच्चों में गुरुद्वारे पहुंचने को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्साह देखा गया। लोगों ने गुरुद्वारे में पहुंचकर सबसे पहले फूलों से सजी पालकी में विराजमान गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेका और खुद के साथ परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की।
सुबह से ही पाठ शुरू हो गया था जिसके समाप्त होने पर अरदास किया गया। इसके बाद कड़ाह प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान सबद-कीर्तन का कार्यक्रम चलता रहा जिसमें बच्चों ने भी भाग लिया। पाठ की समाप्ति के बाद सभी ने अरदास किया और दोपहर बाद लंगर शुरू हुआ। लंगर में सामाजिक एकता की भी साफ झलक दिख रही थी। लंगर में कोई न तो बड़ा था और ना ही छोटा। सभी एक ही पांत में जमीन पर बैठकर गुरु का प्रसाद मान लंगर चख रहे थे। इस दौरान ज्ञानी सुनील सिंह, सुरेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।