रमजान में सियासत से ज्यादा इबादत करें
जागरण संवाददाता सरायमीर (आजमगढ़) नाजिम-ए-आला मदरसा बैतुल ओलूम सरायमीर मुफ्ती मोहम्मद अह
जागरण संवाददाता, सरायमीर (आजमगढ़): नाजिम-ए-आला मदरसा बैतुल ओलूम सरायमीर मुफ्ती मोहम्मद अहमदुल्ला फूलपुरी ने कहा कि रमजान का महीना पवित्र और बाबरकत महीना है। इसका पहला अशरा रहमत, दूसरा अशरा मगफिरत, तीसरा आखिरी अशरा आग से खलासी का है। इस मुबारक महीना में कुरआन पाक नाजिल हुआ। इस महीने में शब-ए-कद्र जैसी एक महान रात होती है, जो एक हजार महीने से बेहतर है। कहा कि आगामी दिनों में चुनाव भी होने वाला है लेकिन मुसलमान सियासत से ज्यादा समय इबादत में लगाएं।
कहा कि इस महीने में नफिल का सवाब फर्ज के बराबर कर दिया जाता है। एक फर्ज का सवाब 70 गुना कर दिया जाता है। इस महीने में दिन का रोजा फर्ज और रात में तरावीह सुन्नत घोषित की गई है। जो कोई सवाब की नीयत से रमजान के रोजे रखे और तरावीह पढ़े वह अपने गुनाहों से निकलकर ऐसा हो जाएगा जैसा कि उसकी मां ने जना था।
रसूल पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस मुबारक महीना में आम महीनों से ज्यादा इबादत फरमाते थे। अब हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा शब्बेदारी करें। इस मुबारक महीने की आमद पर मुसलमानों के लिए खैरो बरकत और रहमत के हजारों दरवाजे खोल दिए जाते हैं। और सर्कस शयातीन कैद कर दिए जाते हैं, ताकि इंसान इबादत में मशगूल और गुनाहों से बच सके। माहे रमजान जहां इबादत का महीना है, वहीं गुनाहों से पाक-साफ होने का भी बेहतरीन मौका है। यह महीना उम्मते मुस्लिमा की इस्लाह का है, ताकि मुत्तकी परहेजगार बन जाएं। अपने नफ्स को मारकर इबादत का आदि बनाना है, ताकि बाकी 11 महीने की इबादत भी आसान हो जाए। इस महीने में इलेक्शन भी होने जा रहा है। मुसलमानों को अपना वक्त सियासत से ज्यादा इबादत में गुजारना चाहिए। इबादत में किसी किस्म की कोताही न हो। रोजे की पाबंदी के साथ लड़ाई-झगड़ा, गाली गलौज से परहेज जरूरी है। वरना सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम रोजा नहीं है। अल्लाह ताला हम सबको माहे मुकद्दस की कदरदानी और फजीलत हासिल करने की तौफीक अता फरमाए आमीन।