इंसान को नेकी की राह दिखाता है माह-ए-रमजान
जागरण संवाददाता अतरौलिया (आजमगढ़) कोरोना से बचने के लिए सरकार की गाइडलाइन पर अमल क
जागरण संवाददाता, अतरौलिया (आजमगढ़) : कोरोना से बचने के लिए सरकार की गाइडलाइन पर अमल करना जरूरी है। अरबी के रे,मीम,ज्वाद से मिलकर रमजान बना है। रमजान का मतलब जला देना, यानी बंदा अपने रब की मोहब्बत में इस मोकद्दस महीने में 30 रोजा रखकर अपनी बुराइयों को जला देता है। एक रवायत में है कि जब रोजा शुरू हुआ तो अरब में बदन जला देने वाली गर्मी पड़ी थी। इसलिए भी इसका नाम रमजान पड़ा।
उक्त बातें पेश इमाम मदीना जामा मस्जिद अतरौलिया मौलाना अख्तर रजा ने कही। कहा कि रमजान का रोजा हर तरह से इंसान को नेकी की राह दिखाता है। इस महीने को अल्लाह ने अपना महीना कहा है, ताकि बंदा पूरे महीना इबादत करे और बुराइयों से तोबा करे।
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि रमजान के 30 रोजे जो भी मोमिन रखता है उसका पूरा साल बेहतर गुजरता है। नबी करीम स.अ.व. फरमाते हैं कि अपना पूरा वक्त रमजान की इबादतों में लगाओ। तुम इबादत करोगे तो तुम्हारे मालो-आमाल में 70 गुना नेकियां लिख दी जाएंगी। बंदा डरता है कि यह महीना अल्लाह का है। अगर इसमें रोजा, इबादत और तरावीह नहीं पढ़ेंगे तो रब नाराज हो जाएंगे। इस महीने की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस महीने में लोग गिला शिकवा भुलाकर नजदीक आते हैं। हिदू भी मुसलमानों को रोजा इफ्तार की दावतें देते हैं। एक ही साथ बैठकर दोनों वर्ग के लोग जब इफ्तार करते हैं तो उससे गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश मिलता है। इन तमाम इम्तेहानों में जो पास होता है उसे खुदा अपने हबीब के सदके में ईद का तोहफा अता करता है। नबी-ए-करीम स.अ.व. ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का महीना है और सब्र का बदला दुनिया में ईद और आखिरत में जन्नत है।