गर्भवती व नवजात के खास ख्याल के लिए मातृ पोषण
-विशेष अभियान -अतिकुपोषित व कुपोषित बच्चों का आंगनबाड़ी कार्यकर्ता करेंगी वजन -चिह्नि
-विशेष अभियान ::::
-अतिकुपोषित व कुपोषित बच्चों का आंगनबाड़ी कार्यकर्ता करेंगी वजन
-चिह्नित बच्चों को तत्काल पोषण एवं चिकित्सीय सुविधा
-गर्भवती व धात्री महिलाओं को करेंगी जागरूक
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: बच्चों को सुपोषित बनाने के उद्देश्य से पहली जुलाई से दो अक्टूबर तक चल रहे विशेष अभियान के तहत गर्भवती के स्वास्थ्य व पोषण का विशेष ख्याल रखा जाएगा। जिससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। इस बार इस योजना की थीम मातृ पोषण पर आधारित है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर-टू-डोर भ्रमण कर गर्भवती व धात्री महिलाओं को उनके स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूक कर रही हैं और बच्चों का वजन भी कर रही हैं।
सीएमओ डा. इंद्रनारायण तिवारी ने बताया कि अतिकुपोषित (सैम) और मध्यम कुपोषित (मैम) का मुख्य कारण मां का कुपोषित होना है। जन्म के समय शिशु का वजन कम होने का कारण, गर्भावस्था के दौरान जागरूकता की कमी, पोषण युक्त भोजन का अभाव एवं बच्चे को स्तनपान न कराना, समय से ऊपरी आहार का शुरू न करना या कम मात्रा में ऊपरी आहार देना, साथ ही स्वच्छता की कमी भी हो सकता है। साथ ही दस्त, निमोनिया या टीबी के कारण भी बच्चे में सैम या मैम होने की संभावना हो सकती है। ऐसे बच्चों को चिह्नित कर उन्हें तत्काल पोषण एवं चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
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पुष्टाहार देकर कराएं कुपोषण मुक्त, डीएम सख्त
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के डीपीओ मनोज कुमार मौर्या ने बताया पोषण अभियान के तहत जिला पोषण समिति की बैठक हुई थी। जिसमें डीएम राजेश कुमार ने सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार देकर कुपोषण मुक्त बनाया जाए। गर्भवती को हरी साग-सब्जियों के सेवन के लिए प्रेरित किया जाए।
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एनआइसीयू में कुपोषित बच्चों का निश्शुल्क इलाज::::
नवजात की निगरानी करें, जन्म के तुरंत बाद ही शिशु का वजन लिया जाए। जन्म के समय यदि बच्चे का वजन कम हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर डाक्टर से जांच कराएं। बच्चे की स्थिति के अनुसार महिला अस्पताल के एनआइसीयू में भर्ती कराएं, जहां बच्चे का पूरा इलाज निश्शुल्क किया जाएगा।
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31 तक अभिभावकों को किया जाएगा जागरूक:::
26 से 31 जुलाई तक नवजात स्वास्थ्य के बारे में अभिभावकों को जागरूक किया जाएगा। नवजात शिशुओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराने व पानी तक न देने की सलाह दी जाएगी। नवजात का वजन लिया जाएगा। महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण स्तर की जांच भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जाएगी।