एकादशी का व्रत रख की विष्णु की आराधना
- कुछ ने त्यागा जल तो कइयों ने किया फलाहार - शाम होने के साथ घरों में जलाए दीप की आरत
- कुछ ने त्यागा जल तो कइयों ने किया फलाहार
- शाम होने के साथ घरों में जलाए दीप, की आरती
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा अवतरण के दूसरे दिन एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। इसे जानने वालों ने सोमवार को सुबह स्नान-ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लिया।
इस दिन को निर्जला और भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। व्रत के महत्व को जानने वाले तमाम लोगों ने दिन डूबने तक जल का भी त्याग कर व्रत रखा तो तमाम लोगों ने अन्न का त्याग कर फलाहार किया।
शाम को दिन डूबने के साथ घरों में भगवान विष्णु की स्तुति शुरू हो गई। लोगों ने भोग लगाने के बाद भगवान की आरती उतारी और अंत में परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।घर के बच्चे भी भगवान का आशीर्वाद पाने को आतुर थे।
व्रत के महत्व के बारे में माता अठरही धाम के पुजारी गिरजा शंकर पाठक ने बताया कि वर्षभर की 24 एकादशियों में से यह सर्वोत्तम मानी गई है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति आसानी से प्राप्त हो जाती है।अगर संभव हो तो सभी को व्रत रखना चाहिए। व्रत रखना संभव नहीं तो मन में भगवान विष्णु का नाम लेते रहना चाहिए। वैसे भी व्रत कोई भी हो वह हमें संयम की सीख देता है।इससे शरीर को नई ऊर्जा प्राप्त होती है।