जिस दवा को जानता है किसान उसका मिलना भी आसान नहीं
जागरण संवाददाता संजरपुर (आजमगढ़) कहा जाता है कि राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट
जागरण संवाददाता, संजरपुर (आजमगढ़): कहा जाता है कि राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट लेकिन जनाब यहां तो मुनाफाखोर भूल गए हैं कि कोरोना की दस्तक उनके घर पर भी पड़ सकती है। हालत यह है जिस दवा का नाम गांव का मजदूर और किसान तक जानता है उस दवा का भी मिलना आसान नहीं रह गया है।
डॉक्टर भी बुखार होने पर पैरासिटामाल खाने की सलाह देते हैं। यह ऐसी दवा है जिसे बांटने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी दिया जाता है। यानी इस दवा को सामान्य माना गया है लेकिन इसका मिलना भी ग्रामीण क्षेत्रों में मुश्किल हो गया है। दवा अगर मिल भी रही है तो उसकी कीमत मनमाने ढंग से वसूली जा रही है। यहां तक कि मेडिकल स्टोर संचालकों को प्रिट रेट पर दिया जा रहा है, लेकिन मांग के सापेक्ष नहीं।
जो स्थिति है उसमें दवा आपूर्ति की निगरानी करने वाले भी कटघरे में खड़े नजर आ रहे हैं। ड्रग इंस्पेक्टर अरविद यादव दावा करते हैं कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई होगी लेकिन अभी तक उनकी कार्रवाई नजर नहीं आई है। कारण कि एक अदना सा आदमी कुछ रुपये ज्यादा देकर दवा तो खरीद सकता है लेकिन जिला मुख्यालय के अधिकारियों से संपर्क करना उचित नहीं समझता।
दवाओं की कीमत पर गौर करें तो एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी की एक गोली 23.60 रुपये मिलनी चाहिए लेकिन 40 से 45 रुपये में मिल रही है। पैरासिटामाल 650 एमजी तीस रुपये में 15 टेबलेट आती है, लेकिन वह पांच में एक गोली मिल रही है। इस संबंध में मिर्जापुर सीएचसी के चिकित्सा प्रभारी प्रवीण कुमार चौधरी का कहना है कि दोनो दवा उपलब्ध है। मरीज अस्पताल पर आकर एक रुपये की पर्ची कटवाने के बाद डॉक्टर से लिखवाकर दवा ले सकता है।
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जनाब, उलझने से बेहतर है ठीक होना
संजरपुर : दवा के लिए परेशान लोगों का कहना है कि कीमत को लेकर किसी से उलझने से बेहतर है कि पहले बीमारी से ठीक हुआ जाए। कल्पनाथ पाठक ने बताया डाक्टर ने पैरासिटामाल 650 एमजी लिखा लेकिन कई दुकानों का चक्कर काटने के बाद मिल सका वह भी ज्यादा दाम पर।
कोठियां गांव के पंडित पाठक ने बताया कि सर्दी, बुखार हुआ तो डॉक्टर को दिखाया। डॉटर ने पैरासिटामाल 650 एमजी व एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी लिखा। दवा लेने सरायमीर बाजार गया तो बताया गया कि दवा नहीं आ रही है। एक जगह मिला भी तो ज्यादा दाम देना पड़ा। इसी गांव के राजेश पाठक ने भी बुखार आने पर पैरासिटामाल खरीदने निकले तो एक गोली पांच रुपये के हिसाब से मिला। लालता पाठक ने बताया कि डॉक्टर ने जो दवा लिखी थी उसे पाने के लिए जुगाड़ लगाना पड़ा।