जीयनपुर सीएचसी में डॉक्टर ही नहीं तो कौन बचाएगा जिदगी
जागरण संवाददाता सगड़ी (आजमगढ) कोरोना ने गांवों में फैलने से रोकने की चुनौतियों के तीसर
जागरण संवाददाता सगड़ी (आजमगढ) : कोरोना ने गांवों में फैलने से रोकने की चुनौतियों के तीसरी लहर आने की आशंकाओं ने लोगों को परेशान करके रख दिया है। विशेषज्ञों ने आशंकाएं भी यूं हीं नहीं जताई होंगी। उनकी अशांकाओं पर भरोसा करके सरकार ने व्यवस्थाएं भी तेज कर दी हैं। दावे भी किए जाने लगे हैं, लेकिन जब डॉक्टर ही नहीं बैठेंगे तो कौन लोगों की जिदगी कौन बचाएगा। जीयनपुर सीएचसी में पहुंचने एवं लोगों से बातचीत के बाद कुछ ऐसे ही सवाल फन काढ़ते नजर आए। ऐसे में कोविड की तीसरी लहर में ये अस्पताल लोगों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरेंगे कहना मुश्किल है।
आपात सेवा ही बंद तो कैसे पहुंचे मरीज
20 हजार की आबादी को सेहत की सुरक्षा देने के लिए जीयनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई थी। सरकार ने कोविड के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए आउट डोर पेसेंट सेवा को बंद कर दिया है। उसके साथ यह आदेश भी स्पष्ट है कि इमरजेंसी सेवा के मरीज किसी दशा में बैरंग न होने पाएं। मंगलवार को दिन में 11 से 12 बजे तक मौजूद रहने के बावजूद एक भी चिकित्सक नजर नहीं आए। चिकित्सा प्रभारी की कुर्सी खाली पड़ी नजर आई। अरसे से चली आ रही दुश्वारियों के कारण इलाके के अधिकांश लोग वस्तुस्थिति जानने के कारण सेहत की मुश्किल होने पर निजी अस्पतालों का रुख करना बेहतर समझते हैं।
30 बेड के हॉस्पिटल में एक भी मरीज नहीं
हॉस्पिटल 30 बेड का है। यहां की बेडों के भरने का औसत देखें तो 20 फीसद भी नहीं है। जबकि सरकार इस अस्पताल के संचालन पर प्रत्येक दस लाख रुपये से कम खर्च नहीं करती है। सीएचसी के अस्तित्व में आने के बाद यहां मरीजों की भीड़ उमड़ती थी। स्वास्थ प्रशासन की निगरानी कमजोर होने से डॉक्टर यहां रहना ही नहीं चाहते हैं। मरीजों को कई बार डॉक्टर नहीं मिले तो धीरे-धीरे उनको लगा कि जीयनपुर अस्पताल में पहुंच जिदगी बचाने की उम्मीद करना ही बेमानी है।
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सर्जन का टोटा, महीनों से ओटी का ताला
अस्पताल में सर्जन की नियुक्ति ही नहीं है। ऑपरेशन थिएटर यहां जरूर है। ऐसे में सर्जिकल वार्ड पर महीनों से लगा ताला कोई खोलने वाला नहीं है। सर्जन की कमी के कारण दुर्घटना, मारपीट इत्यादि में घायल लोग भी यहां पहुंचना पसंद नहीं करते हैं। क्यों कि चीड़-फाड़ का काम सर्जन ही बेहतर तरीके से कर पाते हैं।
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मरीजों के प्राइवेट कक्ष में एंबुलेंस चालकों का बसेरा
30 बेड के अस्पताल में दो प्राइवेट कक्ष हैं। इनमें से एक में एबुंलेस चालक रहते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं कि जब मरीजों को आना ही नहीं तो उसकी उपयोगिता कोई तो करेगा ही। हॉस्पिटल पर मंगलवार को हलचल रही तो टीका लगवाने वालों की, जो कि पास-पड़ोस के गांवों से पहुंचे थे। उनका कहना था कि डॉक्टर नियमित बैठेंगे तो तभी तो मरीज आएंगे। स्वास्थ कर्मियों की संख्या पर एक नजर
प्रभारी चिकित्सक : एक
चिकित्सकों की संख्या : दो
सजर्न : शून्य
आयुष चिकित्सक - दो
फार्मासिस्ट : दो
स्टाफ नर्स : चार
एएनएम : दो
एक्स-रे टेक्निशियन: एक
लैब टेक्नीशियन: एक कोविड-काल में ओपीडी बंद है। सर्जन की तैनाती न होन के कारण ऑपरेशन कक्ष वह सामान्य वार्ड भी बंद है। आपात सुविधाएं मरीजों को मिल रही हैं।
संजय वर्मा, सीएचसी प्रभारी।