पढ़ाई के जज्बे ने बड़ा पाव बेचने को किया मजबूर
¨जदगी संवारनी है, हाथ में पैसा नहीं और रोजगार नहीं मिल रहा है तो ऐसे में रोटी के लिए कुछ न कुछ तो जुगत करनी ही होगी। कुछ ऐसे ही नन्ने मुन्नों की दर्द भरी दास्तान है। जब इन्हें कुछ नहीं समझ में आया तो इन्होंने बड़ा पाव की दुकान सजा दी। बच्चों की इस दुकान पर धीरे धीरे भीड़ भी जुटनी शुरू हो गई। कुछ लोगों ने मरहम लगाने की कोशिश भी की लेकिन इन बच्चों ने एहसान न लेकर खुद के बूते अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने की ठान ली। आज यह बड़ा पाव की इनकी दुकान ठीक चल रही है। इससे होने वाली आमदनी से यह पढ़ भी रहे हैं। घर पर सहयोग भी कर रहे हैं साथ ही दूसरे को नसीहत भी दे रहे हैं।
विकास विश्वकर्मा, आजमगढ़
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¨जदगी संवारनी है, हाथ में पैसा नहीं और नौकरी करने की अभी उम्र नहीं है तो ऐसे में रोटी के लिए कुछ न कुछ तो जुगत करनी ही होगी। कुछ ऐसी ही विषम परिस्थितियों से गुजर रहे 12 वर्षीय सोनू ने दो जून की रोटी का हौसला जुटाया और बड़ापाव की दुकान खोलने का फैसला कर लिया। दुकान खोलने के बाद धीरे-धीरे भीड़ भी जुटनी शुरू हो गई। कुछ लोगों ने मरहम लगाने की कोशिश भी की, लेकिन सोनू ने अहसान न लेकर खुद के बूते अपनी बदहाली से लड़ने की ठान ली। दुकान पर बड़ापाव के स्वाद में इस कदर चाव जगाया है कि लोगों की क्षुधा उनके कदम सोनू की दुकान तक खींच लाते हैं। इससे आमदनी ठीक होने लगी और अब वह पढ़ भी रहा है, घर पर सहयोग भी कर रहा है। लोग उसके हौसले की अब मिसाल भी देने लगे हैं।
डीएवी के समीप स्थित कांशीराम आवास में रहने वाले 12 वर्षीय सोनू को अन्य बच्चों की तरह खाने-पीने या मौज मस्ती का शौक नहीं है, बल्कि उसे पैसे कमाने की ललक है, ताकि वह पढ़ाई पूरी कर कुछ बन सके। उसकी जिज्ञासा यही रहती है कि कमाई इतनी हो जाए कि इस महीने पिता की कुछ मदद कर सके। सोनू कक्षा पांच में पढ़ता है। स्कूल से आने के बाद वह नगर पालिका चौराहे पर ठेला लगाकर बड़ापाव बेचता है। सोनू ने बताया कि पिता आटो चालक हैं। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। बड़ा भाई पढ़ाई छोड़ कमाने की गरज से बाहर चला गया है, इसलिए वह ठेला लगाकर बड़ापाव बेचता है। सुबह स्कूल और शाम को दुकान पर
नगर पालिका चौराहे पर शाम होते ही सड़क किनारे सजी बड़ा पाव की दुकान को दो नन्हें बच्चे संभाले हुए हैं। 12 वर्षीय का सोनू और उसका छोटा भाई। सोनू बड़ा होकर पुलिस में भर्ती होना चाहता है और अपने छोटे भाई को अच्छी शिक्षा देना चाहता है। दोनों भाई कहते हैं कि सब कुछ अच्छा मिले इसके लिए घर में उतने पैसे नहीं है। मां-बाप दिन रात मेहनत करते हैं फिर भी खुद ना खाकर हमें खिलाते हैं। उनका कहना है कि दिन-रात मेहनत करेंगे, ताकि जो कमाई हो उससे पापा-मम्मी को घर खर्च में मदद मिल सके और पढ़ाई भी हो सके।