आधे शहर की बिजली दो दिनों से गुल
जागरण संवाददाता आजमगढ़ हाफिजपुर स्थित 220 केवी पारेषण विद्युत केंद्र में पानी भरने के ब
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : हाफिजपुर स्थित 220 केवी पारेषण विद्युत केंद्र में पानी भरने के बाद दूसरे दिन भी आधे शहर की विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। पहले दिन बताया गया था कि काम हो रहा है, शनिवार दोपहर 12 बजे तक आपूर्ति बहाल हो सकती है, लेकिन उसके बाद समय बढ़ता गया और लोग इंतजार करते रह गए।शाम चार बजे बताया गया कि अभी मुश्किल आ रही है इसलिए रात 11 बजे का इंतजार करना पड़ेगा। सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम तक लोग उम्मीदों में जीते रहे।
बिजली कटौती का नतीजा यह रहा कि पानी के लिए हाहाकार मचा रहा। जिनके घरों के आसपास हैंडपंप थे, उन्होंने तो लाइन लगाकर बाल्टी से पानी ढो लिया, लेकिन जिनके घरों में सबमर्सिबल अथवा नगर पालिका के पानी के भरोसे जरूरतें पूरी होती हैं उनके लिए स्नान करना नामुमकिन हो गया। लोग एक-दूसरे से फोन कर पूछते रहे कि अगर लाइन आ गई हो तो आपके घर आ जाएं। बिजली आने की उम्मीद उस समय टूटने लगी जब अंतिम मैसेज आया रात 11 बजे के लिए।
अब नगर पालिका प्रशासन के इंतजाम पर गौर करें तो हमेशा की तरह धड़ाम साबित हुआ। शहर के 44 नलकूपों पर जेनरेटर की व्यवस्था नहीं हो सकी। जो हुई भी उसे लेकर विरोधाभास सामने आया। अधिशासी अधिकारी विकास कुमार और जलकल के सहायक अभियंता सुरेंद्र राम ने बताया कि केवल जलकल परिसर और अतलस पोखरा स्थित नलकूप को चलाने के लिए जेनरेटर लगाया गया है, जबकि पालिकाध्यक्ष के प्रतिनिधि प्रणीत श्रीवास्तव आठ स्थानों पर जेनरेटर लगवाने का दावा कर रहे थे। ईओ ने तो यह भी बताया कि मातवरगंज कुष्ठ बस्ती, बाजबहादुर मोहल्ले में टैंकर से पानी की आपूर्ति की गई। बाकी स्थानों पर भी जरूरत पड़ी तो टैंकर से पानी भेजा जाएगा।
कुल मिलाकर जलापूर्ति से लेकर जलभराव की समस्या से निजात के लिए पालिका के इंतजाम नाकाफी साबित हुए। अफसरों की उदासीनता का खामियाजा भुगत रही पब्लिक
फोटो-26-सी.
''बारिश से पूर्व जलजमाम से निजात के लिए नालों की सफाई के लिए जिला प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए थे, लेकिन निर्देश का पालन नहीं हुआ। नतीजा अतिवृष्टि से निचले इलाकों के लोगों के मकान डूब गए। लाखों रुपये की क्षति हुई है।
-शंकर राम, रैदोपुर।
----------
फोटो-27-सी.।
''अनंतपुरा हनुमानगढ़ी से गुरुटोला, बड़ा गणेश मंदिर, रामघाट होते हुए बवाली मोड़ तक तमसा नदी का अस्तिव समाप्त हो गया है। नदी का स्वरून पहले नाला और फिर नाली में तब्दील हो गया। अब तक जगह-जगह उस पर भी अतिक्रमण का कर लिया गया है।
-कैलाश गुप्ता, कोलबाजबहादुर।
-----------
फोटो-28-सी.।
''जलनिकासी के लिए तमसा नदी के क्षेत्र में बने नालों पर अतिक्रमण कर गगनचुंबी इमारतें बन गई हैं। जगह-जगह नालों को पाट कर लोग अपनी सुविधा के लिए रास्ता बना लिए हैं, जिससे बारिश के पानी को कौन कहे प्रतिदिन आधे शहर के पानी की निकासी नहीं हो पाती है।
-रिकू गुप्ता, कोलपांडेय।
-----------
फोटो-29-सी.।
''शहर के निचले इलाकों में जलनिकासी की व्यवस्था के प्रति जिला प्रशासन पूरी तरह उदासीन है। आला अधिकारियों की बैठक में मातहतों को दिए गए निर्देश हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। जिम्मेदारों की उदासीनता का खामिजा शहर के जनता भुगत रही है।
-अरुण यादव, डुगडुगवा जमालपुर।
----------
फोटो-30-सी.।
''पिछले दिनो हुई बारिश से शहर के पश्चिम कोलपांडेय व कोलबहादुर गांव के अलावा एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के लोगों के घरों में पानी चला गया था। एसडीएम सदर ने मौके का निरीक्षण कर जलनिकासी की व्यवस्था करने और नाली व नालियों पर किए गए अतिक्रमण को हटाने का आश्वासन दिया था लेकिन हुआ कुछ नहीं।
-अनिल शर्मा, कोलपांडेय।
-----------
फोटो-31-सी.।
''बारिश में हर साल बागेश्वर नगर (बवाली मोड़) से होकर लालडिग्गी तक मिनी बाईपास के पश्चिम से होकर बड़ा गणेश मंदिर से होकर होते हुए आधे शहर का पानी तमसा नदी में जाता था लेकिन मिनी बाईपास के पश्चिम शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के बीच नालों पर अतिक्रमण कर बहुमंजिला इमारतें बना ली गईं हैं। नाले का तो कहीं पता तक नहीं है। जिम्मेदार अफसरों की उदासीनता का खामियाजा हर साल जनता भुगतती है।
-एसके सत्येन, अध्यक्ष, आजमगढ़ विकास संघर्ष समिति।