आबादी के करीब पहुंची घाघरा, बढ़ी ग्रामीणों की धड़कन

जागरण संवाददाता सगड़ी (आजमगढ़) हर बार की तरह से इस बार भी घाघरा का तेवर तल्ख होने लगा है। क्षेत्र के लगभग 10 बीघा कृषि योग्य भूमि लीलन के बाद नदी आबादी के करीब पहुंचकर तटवर्ती क्षेत्र के लोगों की धड़कनें बढ़ा रही है। नदी का तेवर देख आसापास के लोग सुरक्षित ठौर की तलाश में जुट गए हैं। नई बस्ती त्रिलोकी का पूरा में 12 प्रधानमंत्री आवास भी घाघरा के निशाने पर है। अब तक मौन प्रशासन किनारे बसे परिवारों को चिह्नित करने से आगे नहीं बढ़ पाया है। नई बस्ती त्रिलोकी का पूरा में 201

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 06:37 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 06:37 PM (IST)
आबादी के करीब पहुंची घाघरा, बढ़ी ग्रामीणों की धड़कन
आबादी के करीब पहुंची घाघरा, बढ़ी ग्रामीणों की धड़कन

जागरण संवाददाता, सगड़ी (आजमगढ़) : हर बार की तरह से इस बार भी घाघरा का तेवर तल्ख होने लगा है। क्षेत्र के लगभग 10 बीघा कृषि योग्य भूमि लीलने के बाद नदी आबादी के करीब पहुंचकर तटवर्ती क्षेत्र के लोगों की धड़कनें बढ़ा रही है। नदी का तेवर देख आसपास के लोग सुरक्षित ठौर की तलाश में जुट गए हैं। नई बस्ती त्रिलोकी का पूरा में 12 प्रधानमंत्री आवास भी घाघरा के निशाने पर है। अब तक मौन प्रशासन किनारे बसे परिवारों को चिह्नित करने से आगे नहीं बढ़ पाया है।

नई बस्ती त्रिलोकी का पूरा में 2018 में तीसरी बार बाढ़ ने तबाही मचाई तो रामरक्षा, सतगुरु, देव शरण, रविदर, राजेंद्र बहादुर, बीरबल, मुंशीलाल, फूलबदन राम, विजय, लालचंद को प्रधानमंत्री आवास मुहैया कराया गया लेकिन अबकी वह भी बचना मुश्किल दिख रहा है। नई बस्ती मुराली का पूरा वर्ष 2018 में तीसरी बार उजड़ने के बाद बसा। जसराज, विजई, भोपाल, प्रकाश आदि का परिवार रहता है। यहां विजई व छोटेलाल के आशियाने के पास घाघरा बह रही है। वहां स्थित एक पीपल, एक बरगद का वृक्ष घाघरा की धारा में विलीन हो चुका है।

महुला-गढ़वल बांध स्थित मुख्य माप स्थल बदरहुआ गेज पर गुरुवार की शाम चार बजे 70.66 मीटर जलस्तर रहा, जबकि बुधवार की शाम चार बजे 70.69 मीटर दर्ज किया गया था। यानी 24 घंटे में तीन सेमी की कमी दर्ज की गई। डिघिया नाले पर बुधवार की शाम चार बजे 69.74 मीटर, जबकि गुरुवार की शाम चार बजे 69.70 मीटर दर्ज किया गया। यानी 24 घंटे के दौरान जलस्तर में चार सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई लेकिन घाघरा की प्रवृत्ति से वाकिफ लोगों की परेशान कम नहीं हो रही है। कारण कि घाघरा का जलस्तर कम होने के साथ तबाही शुरू होती है और जलस्तर में उतार-चढ़ाव का क्रम सितंबर माह तक बना रहता है।

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