घाघरा में समाने लगी कृषि भूमि, सांसत में अन्नदाता
जागरण संवाददाता रौनापार (आजमगढ़) हर साल का वही हाल उफनती घाघरा और देवारा बेहा
जागरण संवाददाता, रौनापार (आजमगढ़): हर साल का वही हाल, उफनती घाघरा और देवारा बेहाल।इस बार भी बारिश के बाद घाघरा नदी ने देवारा क्षेत्र में बर्बादी की दस्तक दे दी है। पिछले कई दिनों से हो रही मानसूनी बरसात से नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है जिससे नदी के तटवर्ती भागों में बसे किसानों की चिता भी बढ़ गई है। तटवर्ती गांगेपुर परसिया समेत कई गांवों में कृषि योग्य भूमि की कटान शुरू हो गई है। प्रशासन हर पल की स्थिति पर नजर रख रहा है।
जलस्तर में वृद्धि के चलते दर्जनों किसानों की कृषि योग्य भूमि कटकर नदी की धारा में विलीन होने लगी है। देवारा क्षेत्र के कई गांवों में कच्चे मकानों पर भी खतरा मंडराने लगा है। बाढ़ की विभीषिका से लोगों के बचाने के लिए किए गए विभागीय उपाय अब तक नाकाफी साबित हो रहे हैं।
जनपद के उत्तरी भूभाग में बहने वाली घाघरा नदी बरसात के दिनों में प्रतिवर्ष तबाही मचाती है। नदी की धारा में सैकड़ों एकड़ जमीन मकान और फसल बर्बाद हो जाती है।
पूर्व में घाघरा नदी गोरखपुर जनपद के बड़हलगंज बाजार को स्पर्श करते हुए बहती थी, लेकिन पिछले दो दशक से नदी गोरखपुर जनपद में रेत छोड़ते हुए आजमगढ़ जनपद की सीमा में तेजी से दायरा बढ़ा रही है। नदी की धारा मुड़ जाने से महुला-गढ़वल बांध के उत्तरी भाग में स्थित 85 गांव की जमीन कटकर धीरे-धीरे नदी की धारा में विलीन हो रही है। इस वर्ष भी कई दिनों से हो रही बरसात से नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है।इससे गांगेपुर परसिया के पास कृषि योग्य भूमि की कटान होने लगी है।
परसिया के किसान रामकरण, दुबई मिस्त्री, अदालत, सत्यनारायण, लाल वचन, रामवृक्ष,जगदीश यादव, कविराज आदि ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो समस्या बढ़ जाएगी।गन्ने की फसल भी नदी की धारा में विलीन हो जाएगी। हालांकि, नदी की धारा को कमजोर करने के लिए शासन ने तीन ठोकरों के निर्माण के लिए धनराशि अवमुक्त कर दी है, लेकिन निर्माण की मंद गति से नहीं लग रहा है कि इस सीजन में उसका लाभ क्षेत्र के लोगों को मिल पाएगा।