गैरजनपद का कोई मरता है तो भी यहीं से मिलेगा मृत्यु प्रमाण पत्र
जागरण संवाददाता आजमगढ़ किसी की मृत्यु के बाद प्रमाण हासिल करने में कहीं कोई समस्या नह
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : किसी की मृत्यु के बाद प्रमाण हासिल करने में कहीं कोई समस्या नहीं है। समस्या केवल यह है कि लोगों के पास नियमों की जानकारी का अभाव है। अधिकतम एक सप्ताह के अंदर प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है। हां, वेरीफिकेशन में कई बार ज्यादा समय लगने पर दिक्कत जरूरत होती है। बाहरी व्यक्ति की मौत होती है तब भी मृत्यु स्थल वाले जिले से ही प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। दिक्कत तब आती है जब प्रासेस पूरा नहीं किया जाता। मसलन यात्रा के दौरान किसी की मौत हो जाए और वह बिना पुलिस को सूचित किए लाश लेकर चला जाए तो समस्या खड़ी होती है। फिर प्रासेस पूरा करने में समय लग जाता है।
अगर किसी की रिश्तेदार के घर मौत होती है तो उसमें दोनों का आधार कार्ड या कोई भी सरकारी परिचय पत्र जमा करना होता है। उसके बाद विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचकर लोगों का बयान, उनका मोबाइल नंबर और हस्ताक्षर लेते हैं। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है।
सामान्य मौत होने पर 21 दिन के अंदर पांच रुपये शुल्क लगता है। एक वर्ष बाद आवेदन करने पर 10 रुपये शुल्क के साथ बयानहल्फी भी देनी पड़ती है। नगर पालिका परिषद के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एके चौधरी ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र तीन स्तर पर जारी किए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र का ब्लाक मुख्यालय, नगरीय क्षेत्र नगर पंचायत/नगर पालिका प्रशासन जारी करता है।
किसी ग्रामीण की सरकारी अस्पताल में मौत होने पर वहां के चिकित्सक से जारी डेथ सर्टिफिकेट ही मृत्यु प्रमाण पत्र के रूप में मान्य होता है। यह प्रमाण पत्र सीएचसी या पीएचसी से ही जारी होगा, भले ही निधन अतिरिक्त पीएचसी में हुआ हो। निजी अस्पताल में निधन होने पर उसकी ओर से जारी डेथ सर्टिफिकेट के साथ संबंधित नगर निकाय या ब्लाक कार्यालय में आवेदन करना होगा, जिसका वेरीफिकेशन किया जाता है।
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आनलाइन भी कर सकते हैं आवेदन
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. एके चौधरी ने बताया कि लोगों के पास जानकारी का अभाव है। प्रमाण पत्र के लिए कार्यालय की दौड़ लगाते हैं, जबकि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आनलाइन आवेदन की व्यवस्था है। वेरीफिकेशन कर प्रमाण पत्र आनलाइन जारी किया जा सकता है।