न जाने और कितने रिजवान कर रहे होंगे प्राणवायु की कालाबाजारी!
जागरण संवाददाता आजमगढ़ कहावत है कि जुर्म करने वालो कितना भी चालाक क्यों न हो लेकिन ज
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: कहावत है कि जुर्म करने वालो कितना भी चालाक क्यों न हो, लेकिन जुर्म करने के बाद कोई न कोई सुराग जरूर छूट जाता है, जिसके बाद उसे सलाखों के पीछे जाना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हुआ आक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करने वाले लाइसेंसी वेंडर कंधरापुर थाना क्षेत्र के सिलनी निवासी रिजवान के साथ। चार-पांच दिन पहले यदि उसने सोशल मीडिया पर 10 हजार में बड़ा और एक हजार में छोटो सिलेंडर बेचने का आडियो वायरल नहीं करता हो शायद वह पकड़ा नहीं जाता। उधर, इस बात का भी अंदेशा है कि कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन सिलेंडर की कालाबारी में रिजवान जैसे और कितने लोग शामिल होंगे। बहरहाल,एक पकड़ा गया तो कुछ तो लगाम लगेगी ही लेकिन जिला प्रशासन सही ढंग से जांच कराए तो कईयों की गर्दन फंस सकती है।
कोरोना की पहली और अब दूसरी के बाद एक साल तीन माह का दिन हो गया। पहली लहर में तो ऐसा कुछ सामने नहीं आया सका कि आक्सीजन सिलेंडर की बहुत किल्लत है लेकिन दूसरी लहर में आक्सीजन की बढ़ती मांग और कोरोना संक्रमित मरीजों की लगातार होती मौत के बाद अवैध भंडारण और मुंहमांगे दाम पर सिलेंडर की बिक्री करने में शामिल होने वालों की संख्या और अधिक हो सकती है। बहरहाल, जो भी हो लेकिन एक जिदगी के बचाने के लिए आक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी जिले के लिए बदनुमा दाग साबित होगी।
गौरतलब है कि ऑक्सीजन का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। इस संकट से निबटने के सरकार के उपाय नाकाफी साबित हुए हैं।