खाकी की निगरानी में हुआ खाद का वितरण
-विडंबना -खाद की उपलब्धता से ज्यादा किसानों के आ धमकने से हुई मुश्किल -अन्नदाताओं का उ
-विडंबना:::
-खाद की उपलब्धता से ज्यादा किसानों के आ धमकने से हुई मुश्किल
-अन्नदाताओं का उखड़ा मूड देख सचिव ने फोर्स को बुलाना उचित समझा
जागरण संवाददाता, अहरौला (आजमगढ़) : जरूरत के अनुरूप खाद उपलब्ध न होने पर किसानों का मूड मंगलवार को उखड़ गया। किसानों की संख्या एक हजार के करीब जा पहुंचने से सचिव को पसीना छूट गया। बवाल की आशंका को भाप सचिव ने फोर्स बुला लिया। उसके बाद गहमा-गहमी के बीच खाकी की निगरानी में डीएपी, खाद का वितरण किया जा सका।
साधन सहकारी समिति रेड़हा पर किसानों की भीड़ खाद व डीएपी लेने पहुंची थी। चूंकि किसानी इन दिनों चरम पर है, लिहाजा हर कोई चाहता था कि उसकी डिमांड पूरी की जाए। लाजिमी भी कि एक माह से डीएपी और खाद न पहुंचने के कारण फसल की बोआई बाधित हो रही थी। किसान सहकारी समिति का चक्कर काटकर थकने लगे थे कि उन्हें खाद उपलब्ध होने की जानकारी दी गई। उसके बाद भी किसानों की भारी भीड़ पहुंच गई। वहां बताया गया कि मात्र 300 बोरी डीएपी और 800 बोरी यूरिया आई है। उस समय तक किसानों की संख्या एक हजार के इर्दगिर्द जा पहुंची थी। वहां जरूरतें पूरी करने को तू-तू, मैं-मैं के साथ सचिव से कहासुनी भी होने लगी थी। ऐसे में किसानों का उखड़ा मूड भापने में सचिव सुधीर कुमार सिंह को देर नहीं लगी। उन्होंने थानाध्यक्ष से गुहार लगाई तो मौके पर पहुंची पुलिस ने किसानों को लाइन में खड़ा कराकर दो-दो बोरी खाद देने का नियम लागू किया। आधार कार्ड के अनुसार वितरण किया गया। कई किसानों ने सरकार की व्यवस्था के खिलाफ अपना आक्रोश जताया और बताया कि किसान परेशान हैं। किसान दिनकर यादव, प्रदीप सिंह, अब्दुल रहमान, राजेश यादव आदि ने कहा सरकार को किसान आंदोलन से कोई मतलब नहीं। हम छोटे किसान हैं, हमें तो बस समय से खाद, बीज और पानी मिलता रहे। किसानों ने कहा कि बिना अन्नदाता के सरकार नहीं चल सकती और बिना खेती के किसान नहीं चल सकता। ऐसे में सरकार को ठोस नीति बनाकर किसानों के लिए सुविधाजनक रणनीति बनानी चाहिए।