राइस मिलों पर 2.95 करोड़ बकाया, होगी कार्रवाई
आजमगढ़ धान खरीद वर्ष 2011-12 व 2012-13 में खाद्य विभाग एवं पीसीएफ का धान मिल संचालकों को कुटाई के लिए दिया गया जिसे कूटकर एफसीइआइ में जमा करना था लेकिन दो राइस मिल संचालकों ने दो करोड़ 95 लाख
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : धान खरीद वर्ष 2011-12 व 2012-13 में खाद्य विभाग एवं पीसीएफ का धान मिल संचालकों को कुटाई के लिए दिया गया, जिसे कूटकर एफसीइआइ में जमा करना था लेकिन दो राइस मिल संचालकों ने दो करोड़ 95 लाख 83 हजार 555 रुपये धान (सीएमआर) का गबन कर लिया। आरसी जारी होने के बाद अब तक बकाया धनराशि जमा करने पर एफआइआर की कार्रवाई की जाएगी।
2011-12 में सबसे बड़े बकाएदार मेसर्स यशोदा राइस मिल कंचनपुर द्वारा 25942946 रुपये का गबन किया गया। जिला प्रबंधक पीसीएफ ने आठ जुलाई 2014 को आरसी जारी की लेकिन वसूली में उदासीनता और मिलर की कमी के कारण अभी तक बकाया धनराशि जमा नहीं की गई। इसी प्रकार मेसर्स वनस्पति राइस मिल नवापुर के खिलाफ 2014 में आरसी जारी की गई। इस पर 3640609 रुपये सीएमआर का अवशेष है लेकिन अभी तक सीएमआर की शेष राशि जमा नहीं की गई। अब विभाग सभी बकाएदार मिलों पर एफआइआर कराकर वसूली करेगा। चल-अचल संपत्ति की कुर्की कराकर नीलामी की जाएगी।
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'यशोदा राइस मिल कंचनपुर व वनस्पति राइस मिल नवापुरा के संचालक ने आरसी के बाद अब तक सीएमआर की धनराशि जमा नहीं की। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के साथ ही कुर्की के माध्यम से राजस्व वसूली की कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।
-विवेक यादव, जिला प्रबंधक, पीसीएफ।
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'दोनों राइस मिल संचालकों के खिलाफ बकाया सीएमआर की वसूली के लिए बहुत पहले ही आरसी जारी की गई थी लेकिन संबंधित ने अभी तक धनराशि जमा नहीं की। इससे सरकारी राजस्व की क्षति हो रही है। इसलिए खाद्य विभाग, पीसीएफ और अन्य एजेंसियों के बकाएदारों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी, क्योंकि संबंधित से कई बार बकाया जमा करने को कहा गया लेकिन संज्ञान नहीं लिया जा रहा है।
-आरपी पटेल, अपर नोडल अधिकारी, धान खरीद।