मायानगरी में भविष्य की मुसीबत भांप भागने लगे कामगार
जागरण संवाददाता सरायमीर/संजरपुर (आजमगढ़) दिन रविवार। समय दिन के 3.37 मिनट। गोदान एक्
जागरण संवाददाता, सरायमीर/संजरपुर (आजमगढ़) : दिन रविवार। समय : दिन के 3.37 मिनट। गोदान एक्सप्रेस के पहिए थमे तो सैकड़ा की संख्या में लोग ट्रेन से उतरे। अधिकांश चेहरे पर घर लौटने की खुशी तो मायानगरी में मिले दर्द दोनों स्पष्ट महसूस किए जा रहे थे। हालात ठीक एक साल पूर्व की तरह था, कुछ बदला था तो किरदार, कामगार और ट्रेन नंबर ..। कुछ यात्रियों से बात की गई तो उनके दर्द मायानगरी में मुश्किलों की गहराई बीते साल के वनस्पत ज्यादा भयावह नजर आईं। शुकून इसका कि घर लौट आए, अब अपनों के बीच रहने से मुश्किलों का सामना भी मजबूती कर सकेंगे। कामगारों ने अपने दर्द कुछ इस तरह बयां किए ..।
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कोरोना काम को निगल गया तो क्या करते वहां। इलेक्ट्रिशियन का काम करता हूं। टिकट मिल गया घर लौट आए, यह ईश्वर की कृपा है।
मिथिलेश, ग्राम कैथौली, नि•ामाबाद।
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टिकट का टोटा होने लगा है। वहां अपना विजनेश करता था। कोरोना के कारण काम सुस्त देख पहले ही टिकट बनवा लिया। फिलहाल वहां रहने का कोई मतलब नहीं है।
विजय कांत, ग्राम फरिहा, नि•ामाबाद।
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मुंबई में लाकडाउन लग गया है। मैं वहां जनरल स्टोर चलाता हूं। हमने टिकट बहुत पहले ही आरक्षित करा लिया था। अल्लाह का शुक्र है, अन्यथा जिदगी मुश्किल में पड़ जाती।
अब्दुल्लाह, पठान टोला सरायमीर।
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कोरोना के कारण मेरा बैटरी का कारोबार बंद हो गया है। वहां रहकर क्या करता? कोरोना ने बड़े-बड़ों की हालत पतली कर रखी है। शुक्र रहा कि घर पहुंच आया।
अब्दुल, गम्भीरपुर आजमगढ़।
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इलेक्ट्रिशियन का काम करता था। कोरोना के कारण काम बंद हो गया है। एक महीने से स्थिति सुधरने का नाम ले रही थी। आशंकाएं अनहोनी की उभरने लगी तो भाग आना ही उचित समझा।
आरिफ, ग्राम कोरौली खुर्द,सरायमीर।
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मेरे कपड़ा के कारोबार को कोरोना निगल गया। बड़ी मुश्किल से कारोबार संभाली थी। लाकडाउन के कारण मुश्किलें गहराती जा रहीं थीं। निवाली की मुश्किल महसूस हुई तो घर भागना ही मुनासिब समझा।
अनिल, ग्राम फैजुल्लाहपुर,रानी की सराय।
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छोटी-छोटी कंपनियां बंद होने लगी हैं। मेरे पति मुंबई वेस्ट में नौकरी करते हैं। लाकडाउन लगने से मुश्किल हो रही थी, ऐसे में वहां रहना रिस्क लेने की तरह था। इसलिए घर लौटना मुनासिब समझा।
जयशीला, ग्राम मनजीरपट्टी,सरायमीर।
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कंपनी ने निकाल दिया है। मजदूरी करता था। आने वाले दिनों के आशंकाएं गहराने जैसी महसूस हो रहीं थीं। इसलिए परिवार सहित घर लौट आया। घर रहूंगा तो जिदगी फिर से पटरी पर जरूर लौटेगी।
मनोज, ग्राम मंजरीपट्टी, सरायमीर।
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पति बिजली मिस्त्री हैं। मुंबई में काम करते थे। अच्छी जान-पहचान हो गई थीं। कोरोना संक्रमण थमने से स्थितियां पटरी पर लौट रहीं थीं कि दूसरे लहर से सबकुछ बर्बाद करके रख दिया है। काम न मिलने से भागना ही एक विकल्प बचा था।
पूजा यादव, ग्राम कड़छा,सरायमीर।