सिनेमा में आए बदलाव को स्वीकार करना होगा

आजमगढ़ फिल्मों के लिए 2003-2004 के बाद का समय बेहतर रहा। पहले यह होता कि कलाकार के रंग-रूप पर उसे सिनेमा में मौका मिलता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। आज सभी कलाकारों को काम करने का मौका मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Oct 2019 04:45 PM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 04:45 PM (IST)
सिनेमा में आए बदलाव को स्वीकार करना होगा
सिनेमा में आए बदलाव को स्वीकार करना होगा

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : फिल्मों के लिए 2003-2004 के बाद का समय बेहतर रहा। पहले यह होता कि कलाकार के रंग-रूप पर उसे सिनेमा में मौका मिलता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। आज सभी कलाकारों को काम करने का मौका मिल रहा है।

उक्त बातें शारदा टाकीज में आयोजित प्रेसवार्ता में बालीवुड स्टार पियूष मिश्रा ने कही। सिनेमा में आए बदलाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि समय के साथ कुछ बदलाव जरूर हुआ है। इसे स्वीकार करना होगा और लोग स्वीकार कर भी रहे हैं। फिल्म फेस्टिवल में भोजपुरी फिल्मों का प्रदर्शन न होने के सवाल पर श्री मिश्रा ने कहा कि फेस्टिवल में हम बेहतर और संदेशात्मक फिल्में दिखाते हैं। मेरे ख्याल से भोजपुरी में उस स्तर की फिल्में नहीं हैं जिसका प्रदर्शन किया जाए।

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय फिल्म समीक्षक अजीत राय ने कहा कि अगली बार से तीन दिन की जगह पांच दिवसीय फेस्टिवल होगा। हमारा प्रयास होगा कि उसमें फ्रांस, ईरान, इजरायल और साउथ अफ्रीका की भी फिल्में दिखाई जाएं। श्री राय ने आयोजन के लिए अभिषेक पंडित और ममता पंडित की सराहना की।

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