हाथ-पैर में बेड़ियां, सड़क पर रोटी के लिए संघर्ष

मानवता को शर्मशार करने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है। परिवार के ही एक सदस्य ने एक व्यक्ति को बेड़ियों में बांधकर छोड़ दिया है। हाथ व पैर में बंधी बेड़िया समेत उक्त व्यक्ति बीते पांच माह से इधर-उधर भटक रहा है। कोई उसे पागल समझ रहा है तो कोई और कुछ.। पर उसके हाथ पैर में बंधी बेड़ियों से उसे निजात दिलाने के लिए अभी तक कोई आगे नहीं आया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 08:01 PM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 12:23 AM (IST)
हाथ-पैर में बेड़ियां, सड़क पर रोटी के लिए संघर्ष
हाथ-पैर में बेड़ियां, सड़क पर रोटी के लिए संघर्ष

आजमगढ़ : परिवार के सदस्यों ने एक व्यक्ति को बेड़ियों में बांधकर छोड़ दिया है। हाथ व पैर में बंधी बेड़ियों समेत उक्त व्यक्ति बीते पांच माह से इधर-उधर भटक रहा है। कोई उसे पागल समझ रहा है तो कोई कुछ और, लेकिन उसके हाथ-पैर में बंधी बेड़ियों से उसे निजात दिलाने के लिए अभी तक कोई आगे नहीं आया।

शहर के बेलइसा मोहल्ले में दो दिन से इधर-उधर सड़कों पर भटक रहे 45 वर्षीय एक व्यक्ति के हाथ-पैर में बेड़ियां बंधी हुई हैं। लोहे के सीकड़ की बनी बेड़ियों से उसका एक पैर व एक हाथ को बांधने के बाद उस पर छोटा ताला बंद किया हुआ है। बेड़ियों से जकड़े उक्त व्यक्ति देखने से विक्षिप्त लग रहा था। जब उससे बात करने की कोशिश की गई तो वह भूख से तड़पता हुआ नजर आया। मानवता को शर्मसार करने वाली उसकी इस दुर्दशा को देख नहीं रहा गया। खाने के लिए ब्रेड दिया गया तो उसने ब्रेड संग मूली से अपने पेट की भूख मिटाने की प्रयास में जुट गया। जब उसका कुछ पेट भरा तो उससे उसकी इस हालत के बारे में पूछा गया। बातचीत में वह कहीं से भी पागल नजर नहीं आ रहा था। हां, यह जरूर पाया गया कि उसकी दिमागी हालत कुछ ठीक नहीं है। पूछने पर उक्त व्यक्ति ने अपना नाम कलीम व पिता का नाम अख्तर व पता पूछने पर सिधारी क्षेत्र के बभनौली गांव का निवासी बताया। उसे किसने बेड़ियों में बांधा है इस सवाल पर कहा कि उसके परिवार के ही एक सदस्य ने उसे बेड़ियों में जकड़ा है। उसने बताया कि वह पांच माह से इसी हालत में इधर-उधर घूमफिर कर रह रहा है। बेड़ियों से बंधा उक्त व्यक्ति इलाहाबाद तक सफर कर ट्रेन से तीन दिन पूर्व रेलवे स्टेशन पर आया। पांच माह से इसी हालत में भटक रहे उक्त व्यक्ति पर किसी को तरस नहीं आई। इंसानों के साथ इस तरह के व्यवहार से निजात दिलाने के लिए मानवाधिकार आयोग से लेकर पशुओं की सुरक्षा के लिए भी पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कानून बने हैं। इस इंसान को देखने के बाद लगता है कि यह तो पशुओं से भी बदतर ¨जदगी जीने को विवश है। ''अगर ऐसा मामला है तो उसके साथ न्याय किया जाएगा। मैं इस बारे में पता कराता हूं कि आखिर उसे किसने और क्यों बेड़ियों में जकड़ा है। हो सकता है व हाइपरटेंशन का शिकार हो, इसलिए परिवार के लोग बेड़ियों में जकड़ कर छोड़ दिए हों, लेकिन इस तरह से किसी को बांधना गलत है। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने की स्थिति में उसे मानसिक चिकित्सालय में भेजा जाना चाहिए। इस मामले की जांच कर जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।''

-कमलेश बहादुर, एसपी सिटी।

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