काशी के फूलों से बाबा भंवरनाथ का श्रृंगार, बोल उठा दरबार
= भक्तिभाव -घंट-घड़ियाल की ध्वनि के बीच लगता रहा जयकारा -एक झलक पाने को देर रात तक
= भक्तिभाव
-घंट-घड़ियाल की ध्वनि के बीच लगता रहा जयकारा
-एक झलक पाने को देर रात तक जुटी रही भीड़
-आरती के बाद किया गया प्रसाद का वितरण
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सुबह से देर शाम तक भीड़ को संभालने में कार्यकर्ता लगे रहे, लेकिन चेहरे पर थकान के भाव नहीं दिख रहे थे रात तक। कारण कि सावन के पहले सोमवार को होता है बाबा भंवरनाथ का विशेष श्रृंगार।
इसके लिए काशी से फूल मंगाए गए।कारीगर भी वहीं के थे। श्रृंगार में फूलों के साथ काजू, किसमिस, बादाम, अखरोट, अंजीर, खजूर का भी प्रयोग किया गया। इस अलौकिक ²श्य के बीच लग रहा था कि शिव दरबार बोल उठेगा।
सर्वप्रथम बाबा को पंचगव्य से स्नान कराया गया।फिर बेलपत्र, धतुरा, मदार, समी पत्र अर्पण किए गए। सावन के प्रत्येक सोमवार को अलग-अलग प्रकार से बाबा का श्रृंगार होता है। पहले सोमवार को बाबा का श्रृंगार काजू, किसमिस, बादाम, अखरोट, अंजीर, खजूर आदि से किया गया। उन्हें विभिन्न प्रकार के वस्त्र अर्पित किए गए।
श्रृंगार के बाद बाबा की आरती व प्रार्थना के बाद महादेव को अति प्रिय मेवे से बनी खीर का प्रसाद वितरित किया गया। इस क्षण को पलकों में कैद करने के लिए सैकड़ों लोग देर रात तक जुटे रहे। इस दौरान घंट-घड़ियाल की ध्वनि के बीच बाबा का जयकारा लगता रहा।
श्रृंगार मंडली के विपिन सिंह डब्बू, जयप्रकाश दुबे दीपू, पुनीत सिंह, रामप्यारे, विशाल गुप्ता संतू, शशि शर्मा, शेरू सिंह, रिकू अग्रवाल, सुनील मद्धेशिया, संतोष मोदनवाल, दीपक गुप्ता, विजय, रवि, संतोष सोनकर, कमलेश, शिवम, रवि रावत, गोपाल, सुनील, सागर गुप्ता, नीरज विश्वकर्मा आदि उपस्थित रहे। एक तरफ श्रृंगार हो रहा था, तो दूसरी ओर प्रसाद स्वरूप त्रिपुंड लगवाने के लिए लाइन लगी थी।