दक्षिणमुखी देवी दरबार में कोरोना से रक्षा का इंतजाम
- आस्था - गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं लगा लोहे का एंगल - प्रवेश द्वार पर लगे घंटे क
- आस्था
- गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं, लगा लोहे का एंगल
- प्रवेश द्वार पर लगे घंटे को कपड़े से बांध दिया गया
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सरकार ने भले ही कोरोना कर्प्यू में ढील दे दी हो, लेकिन शहर के मुख्य चौक स्थित सिद्ध स्थल दक्षिणमुखी देवी के दरबार में कोविड प्रोटोकाल के नियमों में कोई छूट नहीं मिल रही है। दरबार में प्रवेश के साथ जिस घंटे को बजाया जा रहा था उसे कपड़े से बांध दिया गया है। उसके आगे बढ़ने पर गर्भ गृह के पहले ही लोहे का गेट लगाकर प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है। परंपरा के अनुसार अगर कोई परिक्रमा भी करना चाहता है तो उसके लिए पुजारी से विनती करनी पड़ रही है। यही नहीं किसी को प्रसाद चढ़ाने और नारियल फोड़ने तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंदिर के पुजारी शरद चंद तिवारी का कहना है कि कोई भी मां नहीं चाहती कि उसका बच्चा असुरक्षित हो। दरबार तो आदि शक्ति मां का है और उसके दरबारी होने के कारण हमारा दायित्व है कि भक्तों की सुरक्षा की व्यवस्था करें। वैसे भी मां का स्मरण कहीं से भी किया जाए तो उनका आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।रहा सवाल परिक्रमा का तो उसकी अनुमति नहीं दी जा रही है, लेकिन अगर किसी की मिन्नत है तो एक या दो लोगों को परिक्रमा से रोका भी नहीं जा रहा है।