देवारावासी करें पुकार, घाघरा में बाढ़ आए हर बार
जासं आजमगढ़ बाढ़ के समय देवारा क्षेत्र में घाघरा का रौद्र रूप लोगों के लिए काफी पीड़ादायक होता है।
जासं, सगड़ी (आजमगढ़) : इसे सुनकर अजीब लगेगा लेकिन सौ फीसद सच है। बाढ़ से हर बार तबाह होने वाले देवारा क्षेत्र के किसान मनाते हैं कि हर बार बाढ़ आए। कारण कि बाढ़ के कारण एक फसल भले खराब हो जाती है लेकिन गेहूं और गन्ने की फसल उसकी भरपाई कर देती है और वह भी बिना खाद-पानी के।
बता दें कि विकास खंड महाराजगंज के लगभग 35 गांव, विकास खंड हरैया के लगभग 69 गांव बाढ़ के दिनों में तबाह होते हैं। फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है। घाघरा की बाढ़ हटने के बाद लोगों को काफी मिलती है। इसके बाद लोगों को मंडई बनाने के लिए ढोंढ़, भवन निर्माण के लिए रेत मिलता है तो वहीं गेहूं व गन्ने की फसल की अच्छी पैदावार होती है। क्षेत्र के किसान बताते हैं कि बाढ़ के दिनों में पानी के बहाव के साथ आने वाली नई मिट्टी की परत से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। कम उर्वरक और पानी का प्रयोग करके ही अधिक उत्पादन मिलता है। बाढ़ हटने के बाद रबी के दिनों में हजारों एकड़ भूमि को किसान खेती के रूप में प्रयोग करते हैं। कम सिचाई से ही गन्ने की बड़े पैमाने पर खेती होती है। बाढ़ का पानी हटने के बाद उगने वाले ढोढ़ को तटवासी काटकर अपने घरों को उठा लाते हैं। इससे झोपड़ी तैयार की जाती है। इसे कुछ लोग एकत्र करके बेचते भी हैं जिससे आमदनी भी हो जाती है।
हर वर्ष 30 लाख टन होती है गन्ने की फसल : बाढ़ के दिनों में देवरांचल में पानी के बहाव के साथ आने वाली नई मिट्टी की परत से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। विकास खंड महाराजगंज क्षेत्र में लगभग 25 सौ हेक्टेयर में गन्ने की बोआई की जाती है। वहीं विकास खंड हरैया में लगभग दो हजार हेक्टेयर गन्ने की फसल की बोआई की जाती है। महराजगंज क्षेत्र के किसान करीब 20 लाख टन व हरैया में करीब 10 लाख टन गन्ना की उपज होती है। किसान 80 फीसद गन्ना सठियांव चीनी मिल में भेजते हैं।
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देवारावासियों की कहानी उन्हीं की जुबानी
घाघरा जहां लोगों को जख्म देती है, वहीं उनके जख्मों पर मरहम भी लगाती है। यहां के लोगों के लिए मुख्य स्त्रोत गन्ना की फसल है। इसलिए यहां के लोग घाघरा को ईश्वर का वरदान मानते हैं।
-पलटन यादव, ग्राम प्रधान, देवारा खास राजा।
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यदि गन्ने की फसल अच्छी है तो किसानों की आमदनी भी अच्छी होती है। इसका मुख्य कारण घाघरा नदी है जो बाढ़ के दिनों में अपने साथ नई मिट्टी की परत से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ा देती है।
-पुल्लू सिंह पटेल, ग्राम प्रधान सहबदिया, आजमगढ़।
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बाढ़ हटने के बाद रबी के दिनों में हजारों एकड़ भूमि को किसान खेती के रूप में प्रयोग करता है। कम सिचाई से ही गन्ना की बड़े पैमाने पर खेती होती है। तबाही करने के बाद घाघरा कमाई के भी रास्ते खोल जाती है। - ओम प्रकाश पटेल, ग्राम प्रधान उर्दिहा, आजमगढ़।
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बाढ़ के समय में गन्ना की फसल तेजी से बढ़ती है। यहां के किसान 80 फीसद गन्ना सठियांव चीनी मिल में भेजते हैं, जिससे उनकी आमदनी अच्छी होती है। कहीं न कहीं घाघरा किसानों के लिए वरदान साबित होती है।
-रामसमुझ यादव, ग्राम प्रधान दाम महुला, आजमगढ़