चंद्र दर्शन के बाद चलनी में दीप रख किया पति का दीदार

-करवा चौथ -सुहाग की अमरता के लिए घर-घर की गई पूजा-अर्चना - शिव-पार्वती संग विघ्न विन

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 07:52 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 07:52 PM (IST)
चंद्र दर्शन के बाद चलनी में दीप रख किया पति का दीदार
चंद्र दर्शन के बाद चलनी में दीप रख किया पति का दीदार

-करवा चौथ ::::

-सुहाग की अमरता के लिए घर-घर की गई पूजा-अर्चना

- शिव-पार्वती संग विघ्न विनाशक गणेश की हुई आराधना

-प्रसाद बनाने के बाद सुहागिनों ने किया सोलहो श्रृंगार

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : दीपक मेरे सुहाग का जलता रहे, चांद बनकर आसमां से निकलता रहे। इसी तरह की कामना के साथ रविवार को सुहागिन महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा और शिव-पार्वती संग विघ्न विनाशक गणेश की पूजा कर अपने सुहाग को अमरता प्रदान करने का आशीर्वाद मांगा। उसके बाद चंद्र का दर्शन और अ‌र्घ्यदान कर दांपत्य जीवन में शांति व शीतलता बनाए रखने की प्रार्थना की। चलनी में दीपक रखकर पति का दीदार और उनके हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया।

व्रत पर्व को लेकर महिलाओं में एक दिन पहले से ही उत्साह रहा।किसी ने खुद से मेहंदी रचाई तो किसी ने ब्यूटी पार्लर का सहारा लिया।तैयारी को लेकर बाजारों में सुबह से ही महिलाएं खरीदारी करती दिखीं। दोपहर होने के साथ पूजा की तैयारी में जुट गईं। कहीं चावल के घोल तो कहीं गेरू से दीवार पर पेड़ और उसके ऊपर चंद्रमा के साथ महिला-पुरुष की आकृतियां बनाई गईं, तो कहीं लोगों ने बाजार में बिकने वाली तस्वीर को रखकर पूजा की। आकृति के समक्ष बैठकर करवा में व्यंजन रखकर पूजा की गई। इसमें कहीं शिव-पार्वती तो कहीं साथ में गणेश जी की भी आराधना की गई। इस व्रत पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इसमें एक कथा में कहा गया है कि सात भाइयों ने अपनी इकलौती बहन को भूखे- प्यासे देख चलनी में दीपक रख दूर पेड़ पर चढ़कर कृत्रिम चांद का दर्शन करा दिया। दर्शन और अ‌र्घ्यदान के बाद बहन ने पारण कर लिया, लेकिन उसके बाद उसका पति काफी बीमार हो गया।

अगले साल जब बहन ने विधि-विधान से व्रत व पूजन किया तो उसका पति स्वस्थ हो गया। एक कथा अर्जुन व द्रोपदी से जुड़ी है, जिसमें कहा जाता है कि अर्जुन कील पर्वत पर चले गए तो द्रोपदी परेशान हो गईं कि अब किसी मुसीबत के आने पर क्या होगा। द्रोपदी ने भगवान कृष्ण का आह्वान किया। कृष्ण ने बताया कि करवा चौथ का व्रत रखने से कोई मुसीबत नहीं आएगी। द्रोपदी ने भी कृष्ण के कहने पर इस व्रत को किया था।

इन्हीं परंपराओं के तहत तरह-तरह के मीठे पकवान खासतौर से पूआ और गुलगुला का भोग लगाकर चंद्रमा के उदय होने की प्रतीक्षा की।

बोंगरिया : ग्रामीण क्षेत्रों में भी रविवार को करवा चौथ का उत्साह दिखा।करवा चौथ के दिन संवरने में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए महिलाओं ने अपने स्तर से पूरी तैयारी की।पति के दीर्घायु की कामना के लिए व्रत रखकर चांद का दर्शन करने के बाद पारण किया।

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